राजनांदगांव

ईद-उल-अजहा सिर्फ कुर्बानी नहीं, जिम्मेदारी और इंसानियत का पैगाम है - शकील
06-Jun-2025 2:41 PM
ईद-उल-अजहा सिर्फ कुर्बानी नहीं, जिम्मेदारी और इंसानियत का पैगाम है - शकील

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजनांदगांव, 6 जून। ईद-उल-अजहा के मुबारक मौके पर जामा मस्जिद के सदर हाजी रईस अहमद शकील साहब ने जारी विज्ञप्ति में  मुस्लिम समाज से अपील की है कि वे कुर्बानी को शरीअत के दायरे में रहकर सादगी और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ अंजाम दें।

हाजी रईस अहमद शकील ने कहा कि कुर्बानी अल्लाह की रजा के लिए की जाती है। इसे किसी भी तरह के सार्वजनिक असुविधा का कारण न बनने दें। उन्होंने समुदाय के नाम अपनी अपील में निम्न बिंदुओं पर विशेष जोर दिया कुर्बानी केवल घरों या प्रशासन द्वारा तय स्थानों पर ही करें सडक़ों, गलियों या सार्वजनिक स्थलों पर कुर्बानी न की जाए। सोशल मीडिया पर कुर्बानी की तस्वीरें या वीडियो पोस्ट करने से परहेज करें, सफाई का विशेष ध्यान रखें, कुर्बानी का हिस्सा जरूरतमंदों तक आदब और सलीके से पहुंचाएं,  कानून व प्रशासनिक दिशा-निर्देशों का पालन करें, हर हाल में समाज के अन्य धर्मों की भावनाओं का सम्मान करें।

श्री शकील ने बताया कि उर्दू महीने जिल-हिज्जा के चांद की शरई तस्दीक के बाद और बारिश के मौसम को देखते ईद-उल-अजहा की नमाज कल 7 जून को मनाई जाएगी व एरिए की सभी मस्जिदों में ईदुल-अजहा की नमाज अदा की जाएगी। शाहे मदीना मस्जिद शांतिनगर में सुबह 7.30 बजे,  नूरी मस्जिद कन्हारपुरी में सुबह 8 बजे, नूरी मस्जिद गौरीनगर में सुबह 8.15 बजे, मोती मस्जिद तुलसीपुर में 8.30 बजे, हनफी मस्जिद गोलबाजार में सुबह 8.45 बजे,  जामा मस्जिद पठानपारा में सुबह 9 बजे,  अल अजीज मस्जिद इंदामरा में सुबह 9.30 बजे विशेष नमाज ईदुल अजहा की अदा की जाएगी।

 

लिहाजा गुजारिश है वक्त का ख्याल रखें। 

श्री शकील ने कहा कि  ईद-उल-अजहा हमें खुदा की राह में कुर्बानी का पैगाम देती है। मैदाने अराफत में  हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने आज ही के दिन अपने बेटे हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम को खुदा की राह में कुर्बान करने की तैयारी की थी। वह उनका इम्तिहान था, इसीलिए ईदुल अजहा पर कुर्बानी करने का हुक्म है। अल्लाह तआला से दुआ है कि यह मुबारक महीना हम सबके लिए रहमतए बरकत और मगफरित  का जरिया बने,  ईदुल-अजहा  हमें क़ुर्बानी, इख़्लास और तौहीद की याद दिलाता है। दुआ है कि हमारी क़ुर्बानियां अल्लाह की बारगाह में कुबूल मकबूल हो। ईदुल-अजहा  पर आपके घर में सुकून, रिश्तों में मोहब्बत और जिंदगी में बरकतों की बहार हो।


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