राजनांदगांव

दिल में छेद नवजात शिशु का दवाईयों से सफलतापूर्वक उपचार
09-May-2025 4:36 PM
दिल में छेद नवजात शिशु का दवाईयों से सफलतापूर्वक उपचार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजनांदगांव, 9 मई। राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों और स्टॉफ नर्सों की साझा कोशिश से  वनांचल मोहला के एक नन्हे बालक को नई जिंदगी मिली है। मासूम का समय पूर्व जन्म हुआ था और उसकी सेहत काफी चिंताजनक थी। राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में उसे रिफर कर दाखिल किया गया। जांच में चिकित्सकों ने मासूम के दिल में छेद पाया। चिकित्सकों ने सावधानीपूर्वक और पूरी जिम्मेदारी के साथ दवाईयों से मासूम का उपचार कर उसकी दिल की छेद की समस्या को दूर किया।

मिली जानकारी के अनुसार मोहला में 16 फरवरी 2025 को समय पूर्व एक बच्चे का जन्म हुआ था। जन्म के दौरान शिशु का वजन मात्र 750 ग्राम था। मोहला में विपरीत परिस्थितियों के बीच शिशु को राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज रिफर किया गया। प्रारंभिक स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान मासूम बच्चे का आक्सीजन लेवल सिर्फ 56 प्रतिशत था और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। चिकित्सकों ने तत्काल शिशु को वेंटिलेटर में रखकर इलाज प्रारंभ किया। ब्लड में इंफेक्शन होने के कारण बच्चे को एंटीबायोटिक दवा दी गई। इस तरह शिशु को 20 दिन तक वेंटिलेटर और 30 दिन तक ऑक्सीजन देकर उपचार किया गया।

 

बताया जा रहा है कि एनआईसीयू में उपलब्ध उपकरणों एवं पोर्टेबल ईको मशीन में दिल में छेद होने की जानकारी मिली। जिसका दवाईयों से उपचार किया गया। उक्त शिशु को पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर 8 मई को डिस्चार्ज किया गया। मेडिकल कॉलेज में कुल 2 माह 20 दिन तक चिकित्सकों ने उपचार कर उसे नई जिंदगी दी। शिशु का उपचार एनआईसीयू विभाग प्रमुख डॉ. अजय कोसम के मार्गदर्शन में डॉ. रेणुका नेताम, डॉ. धनंजय सिंह, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. यश जैन, डॉ. साकेत ठाकरे, डॉ. आयुष जैन, डॉ. कबीर द्वारा किया गया। एनआईसीयू प्रभारी नर्स वीणा एक्का एवं स्टॉफ नर्स त्रिवेणी, विनी, रीना एवं अन्य स्टॉफ नर्स के सहयोग से शिशु पूर्ण रूप से स्वस्थ हुआ। शिशु रोग विभाग के एनआईसीयू में पदस्थ चिकित्सकों, स्टॉफ नर्स एवं अन्य कर्मचारियों की अथक मेहनत एवं लगन से नवजात शिशु का जीवन बचाया जा सका।


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