राजनांदगांव

आवास के बदले सिर्फ भारी भरकम कर्ज गरीबों के हाथ में-महेंद्र
29-Apr-2025 2:11 PM
आवास के बदले सिर्फ  भारी भरकम कर्ज गरीबों के हाथ में-महेंद्र

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 29 अप्रैल।
जिला कांग्रेस कमेटी महामंत्री व जिला पंचायत सदस्य महेंद्र यादव ने कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में लाखों पीएम आवास की स्वीकृति का श्रेय प्रदेश सरकार ले रही है। इन पीएम आवास स्वीकृति के प्रचार में करोड़ों रुपए फूंके जा रहे है, लेकिन आवास योजना की राशि में रत्तीभर नहीं बढ़ी। ऐसे में पीएम आवास योजना गरीबों के कर्ज के गहरी खाई में धकेलने का काम कर रही है। 

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार स्वयं की पीठ थपथपा रही है कि हमारे सरकार ने पहली हस्ताक्षर आठ लाख गरीबों को आवास देकर उनका भला करने किया है, परन्तु आज के समय में आवास के लिए दी जाने वाली राशि पर्याप्त नहीं है। लिहाजा हितग्राही कर्ज लेकर आवास बनाने मजबूर है। श्री यादव ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गरीबों को पीएम आवास बनाने के लिए 1 लाख 20 हजार सरकार दे रही है। साथ ही नरेगा से 21 हजार रुपए भुगतान किया जा रहा है। इस तरह से हितग्राही को कुल 1 लाख 42 हजार पीएम आवास बनाने दिया जा रहा है। 

पीएम आवास ग्रामीण की राशि में पिछले दस वर्षों से वृद्धि नहीं हुआ है। जबकि निकाय क्षेत्र में कई दफ्फ  राशि में इजाफा किया गया है। इसके विपरीत पिछले दस वर्षों में बिल्डिंग मटेरियल का भाव आसमान छू रहा है। आप अनुमान लगा सकते हैं कि पिछले दस वर्ष पहले सरिया का दाम क्या था और वर्तमान में छह हजार रुपए हो चला है। सीमेंट की कीमतों में भी भारी इजाफा हुआ है। यहां तक कि ढाई सौ रुपए में काम करने वाले राज मिस्त्रियों ने भी अपना रेट बढ़ाकर दोगुना कर दिया है। महंगाई के इस जमाने में क्या आवास के लिए दी जाने वाली राशि पर्याप्त है। 

 

उन्होंने कहा कि अमीरों की तर्ज पर घर बनाने के चक्कर में कर्ज में डूब रहे हितग्राही पीएम आवास के लिए दी जाने वाली राशि के अनुरूप मकान निर्माण नहीं कर हितग्राही अपने हिसाब से संपन्न लोगों का नकल कर घर बनाने के चक्कर में कर्ज के दलदल में हितग्राही धंस रहा है, परन्तु इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं। पुराने मकान में पूरा संयुक्त परिवार एक साथ रहता था। 

आवास स्वीकृत होने पर पूरा घर तोडऩा पड़ा, अब वह घर 1 लाख 40 हजार में बनने से तो रहा। नतीजन हितग्राही मोटा कर्ज कर या जमीन बेंचकर मकान बनाने मजबूर है। कर्ज कर मकान नहीं बनाएगा तो सडक़ों पर तंबू में रहने के अलावा कोई दूसरा चारा भी तो नहीं। पीएम आवास हितग्राही शहरी और ग्रामीण के भेदभाव में पीस रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में 1.40 लाख रुपए पीएम आवास निर्माण के लिए प्रदान किए जा रहे है। वहीं शहरी क्षेत्र में 2.80 लाख रुपए हितग्राहियों को आवास निर्माण के लिए दिए जा रहे हैं। अब ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में प्रदाय कि जाने वाली राशि शहर से आधा है। जबकि दोनों हितग्राहियों को एक ही भाव में बिल्डिंग मटेरियल खरीदना है। तो आप अनुमान लगाएं कि ग्रामीण क्षेत्र में आवास कैसे बनता होगा और हितग्राहियों को आवास के बदले नसीब में सिर्फ भारी भरकम कर्ज हाथ आता है। महेंद्र यादव ने कहा कि आवास की राशि को 3 लाख तक बढ़ाए सरकार, ताकि गरीब परिवार आसानी से अपना सपनों का घर बना सके उसे कर्ज लेना नहीं पड़ेगा।


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