राजनांदगांव

जिपं में हार से कांग्रेस विधायकों को झटका
02-Mar-2025 3:16 PM
जिपं में हार से कांग्रेस विधायकों को झटका

दूसरी पंक्ति के नेता हुए मजबूत

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 2 मार्च।
नगरीय निकाय और त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में कांग्रेस की दूसरी पंक्ति के नेताओं को मिली जीत से एक नई लीडरशिप को मजबूती मिली है। निकाय और जिला पंचायत के चुनावी परिणाम में दूसरी पंक्ति के नेताओं ने ऐसे कठिन समय को पार कर जीत का परचम लहराया, जब उनके खिलाफ जमकर कांग्रेसी विधायक डटे हुए थे। 

पंचायती चुनाव में कांग्रेसी विधायकों ने अनुशासन को ताक में रखकर अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ अपने पसंदीदा चेहरों को जीत दिलाने के लिए खुलकर प्रचार किया। कांग्रेस के भीतर विधायकों के खिलाफ भी आवाज मुखर हो गई है।

कांग्रेस के सभी विधायकों के गढ़ में  पार्टी से बगावती तेवर दिखाकर जीते उम्मीदवारों को  उभरती हुई दूसरी पंक्ति के नेताओं की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है। आने वाले दिनों में इन नतीजों के जरिये विजयी हुए उम्मीदवारों को संगठन में नेतृत्व करने का मौका मिल सकता है।

राजनांदगांव, मोहला-मानपुर, खैरागढ़ जिले में कांग्रेस का प्रदर्शन इस कदर कमजोर रहा कि  तीनों जिलों में कहीं खाता तो कहीं एक सीट नसीब हुई। तीनों जिलों के कांग्रेसी विधायकों दलेश्वर साहू,  भोलाराम साहू, हर्षिता बघेल, इंद्रशाह मंडावी और यशोदा वर्मा को चुनावी परिणाम ने आईना दिखाया है।

डोंगरगांव विधायक दलेश्वर ने अपने करीबी होमदत्त वर्मा को जीताने के लिए साधन-संसाधन लुटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके जवाब में महेन्द्र यादव ने अच्छे अंतरों से बाजी मारी। दलेश्वर महेन्द्र की राह में कांटे बिछाने में आगे रहे। 

इसी तरह एक और दलेश्वर विरोधी विभा साहू ने भी जीत हासिल की। इन दोनों की जीत को दलेश्वर साहू की नैतिक हार से जोडक़र देखा जा रहा है। खुज्जी विधायक भोलाराम साहू के अधिकृत प्रत्याशी सभी हार गए।

मोहला-मानपुर जिले और खुज्जी विधानसभा के आमाटोला सीट से सदस्य बनी शेषेश्वरी ध्रुव ने विधायक के विरोध के बाद भी जीत का डंका बजाया। भोलाराम साहू ने उनके खिलाफ खुलकर प्रचार किया। 

अंबागढ़ चौकी नगरीय निकाय चुनाव में जिलाध्यक्ष का पद छोडक़र निर्दलीय चुनाव लड़े अनिल मानिकपुरी ने भोलाराम साहू के लिए एक कड़ा संदेश दिया है। मानिकपुरी को पार्टी नेतृत्व टिकट देने के पक्ष में थी, लेकिन विधायक साहू ने उनका जमकर विरोध किया। विधायक की पसंद पर उम्मीदवार बने मनीष साहू तीसरे नंबर पर रहे। 

डोंगरगढ़ विधायक हर्षिता बघेल पर खुलकर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार चुके जिलाध्यक्ष भागवत साहू ने भीतरघात का आरोप लगाया।  इसी तरह पटेवा सीट से पूर्व विधायक भुनेश्वर साहू की पत्नी मधु बघेल की बंपर हार के पीछे हर्षिता बघेल को जिम्मेदार माना जा रहा है। 

डोंगरगढ़ नगर पालिका में भी कांग्रेस की भद्द पिट गई। विधायक की पसंद पर नलिनी मेश्राम को उम्मीदवार बनाया गया, लेकिन वह बड़े अंतरों से हार गई। मोहला-मानपुर जिले में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा।

विधायक इंद्रशाह मंडावी अपने भतीजे दिनेश शाह मंडावी को भी विजयी दिलाने में नाकाम रहे। यह मंडावी की व्यक्तिगत हार मानी जा रही है।
खैरागढ़ विधायक यशोदा वर्मा के जिले में भी कांग्रेस से एकमात्र निर्मला विजय वर्मा ने बाजी मारी है। कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़ी दिवंगत नेता देवव्रत सिंह की बेटी शताक्षी सिंह ने जीत हासिल कर कांग्रेस नेताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया।
 


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