राजनांदगांव

सूपा धान्य एवं कंकर को अलग-अलग कर देता है
30-Dec-2024 4:26 PM
सूपा धान्य एवं कंकर को  अलग-अलग कर देता है

राजनांदगांव, 30 दिसंबर। मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है। जिसमें विवेक होता है। अध्यात्म मार्ग से विवेक की प्राप्ति होती है तथा विवेक से क्या करना, क्या नहीं करना, क्या त्याज्य है, क्या ग्राहय है, का बोध होता है। निरंतर आध्यात्मिक अभ्यास से व्यक्ति उच्चतर स्तर को प्राप्त कर सकता है। उक्त उद्गार रविवार को श्री हनुमान श्याम मंदिर में 18 दिवसीय संत समागम एवं श्री सुंदरकांड महोत्सव महाकुंभ के दूसरे दिन श्री शिव महापुराण कथा के प्रथम दिवस अरजकुंड निवासी सुप्रसिद्ध भगवताचार्य पं. दिग्विजय शर्मा ने व्यक्त किए।

श्री श्याम के दीवाने एवं हनुमान भक्तों की ओर से अशोक लोहिया, सोहन देवांगन एवं किशन देवांगन के अनुसार संतश्री ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में परेशानियां आए, समस्याएं आए तो उसे अपने माता-पिता, सास ससुर, गुरु के चरणों में जाकर बैठ जाना चाहिए। परेशानियां, समस्याएं अपने आप दूर हो जाएगी। 

श्रीशिव महापुराण की कथा के माध्यम से संतश्री ने कहा कि मनुष्य का स्वभाव है कि वह स्वतंत्र रहना चाहता है, लंबे समय तक या अत्याधिक स्वतंत्रता से व्यक्ति बहिर्मुखी हो जाता है, वह स्वच्छंद हो जाता है, जो उसके लिए घातक है। घोड़े को लगाम से, हाथी को लोहे की कील से, बैलों को रज्जू से नियंत्रित किया जाता है। इसी प्रकार मनुष्य को आध्यात्मिक चेतना से नियंत्रित किया जा सकता है। पिता को पुत्र से, बेटी को मां से, बहू को सास से एवं भक्तों को भगवान से हमेशा बंधे रहना चाहिए, तभी जीवन की गाड़ी सुचारू रूप से चल सकती है।

संतश्री ने कहा कि आध्यात्मिक आहार साधना की प्रथम सीढ़ी है। जिसके माध्यम से व्यक्ति अपना, परिवार, समाज एवं राष्ट्र का कल्याण कर सकता है, जिस प्रकार सुपा को चलाने से अन्न के कण एवं कंकर के कण अलग-अलग हो जाते हैं, उसी प्रकार आध्यात्मिक कथा-प्रवचन सुनने से व्यक्ति के जीवन में आए हुए कंकड़ रूपी दोष अलग हो जाते हैं और वह शुद्ध अन्न की तरह आध्यात्मिक व्यक्ति बन जाता है


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