राजनांदगांव
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महापौर के बजाय शहर अध्यक्ष को बच्चों के जरिये भेजा इस्तीफा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 26 अगस्त। विधानसभा टिकट दिलाने का झांसा देकर लाखों रुपए लेने के आरोप में घिरे राजनांदगांव नगर निगम के एमआईसी सदस्य राजेश गुप्ता (चंपू) ने मेयर इन काउंसिल से इस्तीफा दे दिया है।
गुप्ता पिछले निकाय चुनाव में निर्दलीय चुनाव जीतकर सदन में पहुंचे थे। महापौर हेमा देशमुख की टीम में वह विधि विधायी विभाग के चेयरमेन थे। पिछले दिनों रुपए लेकर टिकट दिलाने और घर में जुआ खिलाने के दौरान फरार होने के मामले में वह सुर्खियों में थे। सोमवार को गुप्ता ने अपने बच्चों के जरिये शहर अध्यक्ष कुलबीर छाबड़ा को इस्तीफा भेजा। हालांकि गुप्ता को नियमानुसार महापौर को इस्तीफा देना चाहिए था। बताया जा रहा है कि गुप्ता पर लगे आरोपों से कांग्रेस के भीतर भी खलबली थी।
शहर अध्यक्ष कुलबीर छाबड़ा ने एमआईसी की सदस्यता से इस्तीफा देने की पुष्टि की है। साथ ही गुप्ता ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, नई दिल्ली में केसी वेणुगोपाल को भी त्यागपत्र देने की जानकारी भेजी है।
उधर, महापौर हेमा देशमुख ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि गुप्ता कांग्रेस के सदस्य नहीं थे, इसलिए उनके एमआईसी से इस्तीफे की जानकारी से वह अनभिज्ञ है। उधर पुलिस रुपए लेकर टिकट दिलाने के मामले में अपराध दर्ज करने के बाद गुप्ता की सरगर्मी से तलाश कर रही है।
इधर राजेश गुप्ता चंपू ने शहर अध्यक्ष कुलबीर छाबड़ा को भेजे त्यागपत्र में उल्लेख करते बताया कि महापौर की कार्यप्रणाली, वार्ड विकास के भेदभाव व अडियल रवैये के चलते वह महापौर परिषद से इस्तीफा दिया। उन्होंने त्यागपत्र में कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रहने के बावजूद शहरी सरकार में कांग्रेस की हेमा देशमुख के महापौर रहते उसके वार्ड में ऐसा कोई काम नहीं हो सका, जिसे गिनाया जा सके या इतिहास के पन्नों में पर दर्ज करने योग्य हो? इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वार्ड नं. 41 स्थित इंदिरा नगर के पीछे बना आधा-अधूरा नाला निर्माण घोटाले को लेकर 2021 से लगातार प्रमुखता से उठाया जाता रहा? कागजों पर बना तीस करोड़ रुपए की लागत से बना नाला को लेकर उक्त नाले का चौड़ीकरण करने व नला के ऊपर आसपास हुए प्रभावशाली लोगों द्वारा किए गए अवैध अतिक्रमण हटाने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, सांसद संतोष पांडे, कलेक्टर संजय अग्रवाल, नगर निगम आयुक्त अभिषेक गुप्ता को सात दिनों के भीतर कार्रवाई करने ज्ञापन सौंपा गया था।
त्यागपत्र में कहा गया कि महापौर पटरीपार स्थित एक बड़े नेता के इशारे पर मुझे बदनाम करने की नियत से जुआ के मामले में फंसाया गया। उन्होंने षडयंत्रपूर्वक नलिनी मेश्राम को सामने लाकर 30 लाख रुपए के लेनदेन का झूठा व मनगढ़त आरोप लगवाकर थाना में प्रकरण दर्ज करराने में बड़ी भूमिका निभाई। जबकि यह प्रकरण पूर्णत: असत्य है। महापौर के अडियल उपेक्षाूपर्ण रवैया के चलते वह अपने महापौर परिषद विधि एवं सामान्य प्रशाासन विभाग के पद से इस्तीफा दे रहा है।