राजनांदगांव

तीन साल से मछली विभाग में ऑडिट नहीं होने से छुपा रहा भ्रष्टाचार
03-Jun-2024 4:01 PM
तीन साल से मछली विभाग में ऑडिट नहीं होने से छुपा रहा भ्रष्टाचार

 जलाशयों में केज खरीदी घोटाला पर शासन ने दिए कार्रवाई के संकेत

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजनांदगांव, 3 जून।  राजनांदगांव और खैरागढ़ जिले के बड़े जलाशयों में केज खरीदी घोटाला तकरीबन 3 साल से ऑडिट नहीं होने की वजह से छुपा रहा है। इधर राज्य सरकार ने इस मामले को लेकर दोषी अफसरों पर कड़ी कार्रवाई करने के संकेत दिए हैं।

कलेक्टर संजय अग्रवाल भी मछली विभाग में हुए इस भ्रष्टाचार को लेकर काफी सख्त हैं। उन्हें मौजूदा मत्स्य सहायक संचालक की रिपोर्ट का इंतजार है। माना जा रहा है कि इसके बाद कलेक्टर तत्कालीन सहायक संचालक गीतांजलि गजभिये को सवाल-जवाब के लिए तलब कर सकते हैं।

इस बीच पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में तीन साल तक ऑडिट नहीं किया गया। ऑडिट होने के बाद विभाग में की गई गड़बड़ी सामने आई है। मत्स्य विभाग के माध्यम से फर्जी ढंग से जिन लोगों के नाम केज खरीदी गई, उन्हीं में से एक हितग्राही ने पूरे मामले का पर्दाफाश किया।

जलाशयों में केज लगाने वाले हितग्राहियों को लीज की राशि का भुगतान करना पड़ता है, लेकिन केज खरीदी में भ्रष्टाचार की वजह से लीज की राशि जमा नहीं हुई। तत्कालीन सहायक संचालक श्रीमती गजभिये ने विभाग के कुछ अफसरें को अपने साथ मिलाकर ऑडिट को दबाए रखा। नतीजतन लगातार विभाग में घोटाला होता रहा है।

जैसे ही लीज धारकों के नाम नोटिस जारी किए गए, तब तत्कालि महिला अफसर और विभागीय अधिकारियों की कारगुजारियां सामने आई। मत्स्य विभाग में एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं। 

सूत्रों का कहना है कि केज खरीदी के अलावा नाव, जाल और अन्य मछलीपालन की साम्रगियों में  सरकारी राशि का बंदरबांट किया गया है। राज्य सरकार तक यह मामला पहुंच गया है। मोंगरा, छिंदारी, पनियाजोब व नवागांव के जलाशय की केज खरीदी को भी जांच के दायरे में लिया गया है। आने वाले दिनों में पूरे मामले के सही तथ्य सामने आएंगे।


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