राजनांदगांव

सिलसिलेवार नौकरी छोडऩे से कॉलेज की मान्यता खतरे में !
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 24 मई। राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों के सिलसिलेवार नौकरी छोडऩे से कॉलेज की मान्यता खतरे में पड़ गई है। कॉलेज के प्राध्यापकों से लेकर सह प्राध्यापक लगातार इस्तीफा देकर दीगर राज्यों अथवा निजी मेडिकल संस्थानों का रूख कर रहे हैं।
दो दिन पहले नाक-कान और गले के चिकित्सक डॉ. अनूप गुप्ता ने भी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से कॉलेज में उच्च उपचार की निदान अब संभव नहीं रह गया है।
बताया जाता है कि ईएनटी विभाग के एचओडी डॉ. गुप्ता अनुबंध के आधार पर करीब 10 वर्ष से अपनी सेवाए दे रहे थे। इस साल उन्होंने अपना अनुबंध को आगे नही बढ़ाया।
एक जानकारी के अनुसार कॉलेज के चिकित्सकों को निजी क्षेत्रों से बड़े आर्थिक पैकेज के प्रस्ताव मिल रहे हंै, जबकि मेडिकल कॉलेज में अधिकतम डेढ़ लाख रूपए मासिक मिल रहा है।
पिछलेे पांच माह के भीतर 6 से ज्यादा डाक्टरों ने कॉलेज को अलविदा कह दिया है। इसके पहले कैंसर, हड्डी, मेडिसिन व स्त्री रोग विशेषज्ञों ने नौकरी छोड़ दी।
सालभर के भीतर डॉ. सौम्या डुलानी, राजेश डुलानी, कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. चेतन साहू औैर सर्जन रूपनारायण साहू सहित दर्जन भर डॉक्टरों ने भी नौकरी छोडक़र निजी प्रैक्टिस शुरू कर दी है।
राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में करीब आधा दर्जन जिलों से इलाज के लिए मरीज पहुंचते हंै। डॉक्टरों के लगातार इस्तीफा देने से कॉलेज की चिकित्सकीय व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। साथ ही कॉलेज की मान्यता पर भी खतरा बढ़ गया है।
बताया जाता है कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन चिकित्सकों के इस्तीफा को एक रूटीन मान रहा है। डीन और अधीक्षक का कहना है कि इस्तीफा देने के साथ ही नए चिकित्सक भी ज्वाईन कर रहे हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद के लिए वैकेंसी भी निकाली जा रही है।