राजनांदगांव

माताएं कल रखेंगी हलषष्ठी व्रत, सुनेंगी कथा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 4 सितंबर। संतानों की लंबी आयु की कामना को लेकर माताएं कल मंगलवार को कमरछठ पर्व पर कठिन व्रत रखकर पूजा-अर्चना करेंगी। इस पर्व पर पूजन सामग्रियों की मांग शुरू हो गई है। वहीं बाजार में पूजन सामग्रियों की खरीदी-बिक्री भी सुबह से जोर पकडऩे लगी है। पूजन सामग्रियों की खरीदी-बिक्री के लिए बाजार में लोगों की चहल-पहल भी बढऩे लगी है। इसके साथ ही दूध, दही, घी समेत अन्य पूजन सामग्रियों की मांग बढ़ गई है। इधर बाजार में पसहर चावल, भैंस का दूध, दही, घी, बेल पत्ती, कांशी, खमार, बांटी, भौरा सहित अन्य पूजन सामग्रियों की दुकानें भी सजकर तैयार है, जहां लोग खरीदी करने पहुंच रहे हैं।
शहर के मानव मंदिर चौक से जयस्तंभ चौक तक पूजन सामग्रियों की दुकानें सजकर तैयार है, जहां लोग सामग्रियों की खरीदी करने पहुंच रहे हैं। वहीं लोगों की चहल-पहल बढऩे के साथ ही जाम के हालात भी बनने लगे हैं। ऐसे में दो पहिया के साथ अन्य वाहन चालकों को इस मार्ग से गुजरने में दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है।
कल मंगलवार को संतानों की दीर्घायु की कामना को लेकर माताएं कमरछठ पर्व पर कठिन व्रत रखकर पूजा-अर्चना करेंगी। इस पर्व पर उपवास तोडक़र खास अन्न ‘पसहर चावल’ का सेवन करेंगी। बाजार में पसहर चावल समेत भगवान शिव-पार्वती को अर्पित करने के लिए भैंस का दूध, दही, घी, बेल पत्ती, कांशी, खमार, बांटी, भौरा सहित अन्य पूजन सामग्रियां बिक्री के लिए पहुंच गई है। शहर के अलग-अलग क्षेत्रों और दुकानों में पसहर चावल उपलब्ध है। इस चावल की खास बात यह है कि यह बिना हल के ही खेतों में पैदा होती है। लिहाजा हलषष्ठी के पर्व पर इस चावल की मांग अधिक होती है।
माना जाता है कि इस चावल से ही व्रत तोडऩे का सदियों पुराना रिवाज है। कमरछठ पर्व को महिलाएं पूरे उत्साह के साथ मनाती है। हलषष्ठी पर्व पर माताएं पूजा करने के स्थान पर सगरी खोदकर भगवान शंकर एवं गौरी, गणेश को पसहर चावल, भैंस का दूध, दही, घी, बेल पत्ती, कांशी, खमार, बांटी, भौरा सहित अन्य सामग्रियां अर्पित करेंगी। पूजन पश्चात माताएं घर पर बिना हल के जुते अनाज पसहर चावल, छह प्रकार की भाजी को पकाकर प्रसाद के रूप में वितरण कर अपना उपवास तोड़ेंगी। बाजार में पसहर चावल 30 से 40 रुपए गिलास में बिक रही है। बताया जाता है कि इसमें भी अलग-अलग किस्म के पसहर चावल है। मोटा और साफ चावल के भाव तय कर दिए गए हैं। लिहाजा महिलाएं अपने अनुसार चावल की खरीदी कर रही है। इस पर्व में माताएं कठिन व्रत रखकर संतानों की लंबी आयु की कामना करेंगी।
बच्चों की लंबी उम्र की कामना के लिए माताएं कल 5 सितंबर को व्रत रखकर पूजा-अर्चना करेंगी। उक्त पूजा के लिए शहर के अलग-अलग स्थानों में माताएं एकत्रित होकर कथा सुनेंगी और पूजन-सामग्री अर्पित करेंगी। साथ ही शिव-पार्वती कथा सुनते माताओं की कठिन व्रत में संतानों की लंबी आयु की कामना करेंगी। कमरछठ पर्व को बच्चों की दीर्घायु होने की कामना लेकर माताएं कठिन व्रत रखती हैं। माताओं को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। सामूहिक रूप से शहरभर में अलग-अलग चौराहों और मोहल्लों में महिलाओं ने भगवान शिव और पार्वती की अलौकिक गाथाओं से जुड़ी कथाएं सुनी जाएगी।
माना जाता है कि कमरछठ पर्व भगवान शिव के पूरे परिवार से जुड़ा हुआ है। पूरे परिवार के सदस्यों की कथाओं के जरिये वर्णन किया जाता है। जिसमें मुख्य रूप से भगवान शिव और पार्वती की धार्मिक गाथाएं शामिल है। महिलाएं पूजा-अर्चना के दौरान प्रतिकात्मक रूप से गडढ्े खोदकर सगरी (तालाब) का निर्माण करती है। जिसमें पेड़-पौधे लगाकर अलग-अलग पूजन सामग्रियां चढ़ाई जाती है। वहीं भगवान शिव-पार्वती को भोग स्वरूप पसहर चावल, भैंस का दूध, दही, घी, बेल पत्ती, कांशी, खमार, बांटी, भौरा सहित अन्य सामग्रियां अर्पित की जाएगी। शिव-पार्वती का स्तुति गान करते संतानों की लंबी आयु की कामना करेंगी। इस पर्व के लिए पसहर चावल से लेकर अन्य सामग्रियों के दाम में वृद्धि भी देखने को मिलती है।