राजनांदगांव
मोहारा एनीकट में लगातार गिर रहा जलस्तर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 14 मार्च। फरवरी महीने में पड़े गर्मी का असर पेयजल व्यवस्था पर पड़ा है। मार्च के महीने में ही शहर का प्यास बुझाने के लिए निगम को मटियामोती जलाशय से दूसरी बार पानी लेना पड़ रहा है। मार्च के महीने में लगातार बढ़ रहे तापमान के कारण जलस्तर गिरने लगा है। वर्तमान में मोहारा एनीकट में पानी का स्तर 46 इंच कम हो गया है।
मोहारा एनीकट में घटते जल स्तर के कारण निगम प्रशासन ने जल संसाधन विभाग को मटियामोती जलाशय से पानी की दूसरी खेप छोडऩे के लिए पत्र भी लिखा है। मार्च की हालत देखकर अप्रैल-मई और जून के महीने में पानी को लेकर हाहाकार मचने की आशंका बढ़ गई है। निगम प्रशासन ने 30 मार्च तक मटियामोती जलाशय से 100 एमसीएफटी पानी की खेप छोडऩे के लिए पत्र लिखा है।
नगर निगम आयुक्त डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी ने बताया कि शिवनाथ नदी स्थित मोहारा एनीकट से पानी लेकर शहर में पेयजल सप्लाई की जाती है। वर्तमान स्थिति में एनीकट में पानी का लेबल 46 इंच कम हो गया था, तथा प्रतिदिन पानी का लेबल एक से डेढ इंच कम हो रहा है तथा मोहारा एनिकट में 30 मार्च 2023 तक के लिये पेयजल संग्रहण पर्याप्त है। बताया जाता है कि राजनांदगांव शहर को गर्मी में पेयजल संकट से निजात दिलाने के लिए मटियामोती जलाशय में 300 एमसीएफटी पानी सुरक्षित रखा गया है। वर्तमान में मोगरा जलाशय से रॉ-वाटर नहीं मिल पा रहा है ऐसी स्थिति में मटियामोती जलाशय से रॉ-वाटर 20 मार्च 2023 से लिया जाएगा, ताकि रॉ-वाटर 30 मार्च 2023 के पूर्व मोहारा एनीकट में संग्रहण किया जा सके।
कुंओं और हैंडपंपों में बढ़ेगा दबाव ?
भीषण गर्मी पडऩे के आसार के चलते कुंओं और हैंडपंपों में भी लोगों की निर्भरता बढऩे लगी है। पिछले कुछ दिनों से भू-जल स्तर 15 से 20 मीटर नीचे चला गया है। मार्च के महीने में ही जलस्तर के गिरने से पानी को लेकर आपाधापी मचने की आशंका बलवती हुई है। बताया जा रहा है कि कुंओं का जलस्तर भी लगातार गिरावट की ओर है। वहीं हैंडपंपों से भी लोग पानी निकालने के लिए मशक्कत कर रहे हैं। ऐसे में कुंओं और हैंडपंपों में दबाव बढऩा लाजमी है। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में हैंडपंपों से प्यास बुझाने के लिए लोगों को कड़ी जद्दोजहद करनी पड़ेगी। जबकि शहरी इलाकों में नदियां पेयजल की मुख्यस्रोत हैं। नदियों की स्थिति भी लगातार पानी के लिहाज से कमजोर पड़ती दिख रही है।
बताया जा रहा है कि अप्रैल से लेकर जून तक तीन महीनों तक पानी को लेकर संघर्ष की स्थिति बन सकती है। शहरी बाशिंदों को अभी से ही पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। देहात क्षेत्रों में निस्तारी के साथ पेयजल की समस्या धीरे-धीरे पैर पसार रही है।


