राजनांदगांव

राजनांदगांव, 11 अक्टूबर। जैन संतश्री हर्षित मुनि ने कहा कि आपकी शांति की परीक्षा तब होती है, जब आप अशांति के माहौल में रहकर भी शांत रहते हैं। यदि आपने ऐसा किया तब मानिए कि आपने पूंजी कमाई है। नाना गुरु ने इस गुण को अपनाया और यह गुण उनके युवाचार्य से आचार्य बनने तथा उसके बाद भी रहा। उन्होंने कहा कि आप उतना ही आहार लीजिए जितने की आपको जरूरत हो, जो नीरस खाता है, वही सरस रहता है।
समता भवन में जैन संतश्री हर्षित मुनि ने कहा कि कम आहार का शरीर में इतना फर्क नहीं पड़ता जितना कि अधिक आहार का। उन्होंने कहा कि हो सके तो एक दिन उपवास भी रखें, इससे शरीर के सारे सिस्टम दुरुस्त हो जाते हैं और शरीर को भी आराम मिलता है। जिस तरह नौकर से सारे दिन और पूरे सप्ताह भर काम कराएं तथा एक दिन भी छुट्टी न दें तो वह थककर चूर हो जाता है, किंतु एक दिन छुट्टी मिलने से वह दोगुने उत्साह से काम करता है। ठीक इसी तरह हमारा शरीर भी है। यह जानकारी विमल हाजरा ने दी।