राजनांदगांव

इंदिरा गांधी चिंतन शिविर करके हार गई, सोनिया-राहुल क्या कर पाएंगे-पवन मेश्राम
04-Jun-2022 3:40 PM
इंदिरा गांधी चिंतन शिविर करके हार गई, सोनिया-राहुल क्या कर पाएंगे-पवन मेश्राम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 3 जून।
बस्तर संभाग प्रभारी, भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन मेश्राम ने कहा है कि राजस्थान के उदयपुर में हुए कांग्रेस के नवसंकल्प चिंतन शिविर से सिर्फ कांग्रेस को हार ही मिली थी। देश पर सर्वाधिक समय तक राज करने वाली देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस, मौजूदा समय में राजनीतिक हालात में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है, मतलब यह है कि कांग्रेस की सारी कवायद ढाक के तीन पात वाली ही रही और इसलिए कहा जा सकता है कि उदयपुर के लिए चिंतन शिविर में जो संकल्पों का ‘पहाड़ खोदा’ उसमें से चूहा ही निकला।

श्री मेश्राम ने कहा कि कांग्रेस द्वारा 2 अक्टूबर गांधी जयंती से राष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक पदयात्रा भारत जोड़ो के नाम बैनर तले निकालने की घोषणा की गई है, लेकिन यात्राएं तो राजीव गांधी और चंद्रशेखर भी निकाल चुके हैं। जब उन्हें ऐसी यात्राओं से कोई फायदा नहीं हुआ तो फिर कांग्रेस या सोनिया-राहुल गांधी को कोई फायदा मिलेगा, यह विचरणीय है। जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज तक ऐसी कोई पद-यात्रा नहीं निकाली, फिर भी वे देश के सबसे बड़े ब्रॉड (नेता) बने हुए हैं और मोदी जी ने धोखे से ही पदयात्रा निकाली तो कांग्रेस का फिर इस देश में क्या होगा?

श्री मेश्राम ने कहा कि ऐसा नहीं है कि कांग्रेस का यह चिंतन शिविर देश में कोई पहली बार आयोजित हुआ है। इससे पहले भी देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने 4 चिंतन शिविर किए हैं। कांग्रेस का पहला चिंतन शिविर यूपी के बुलंद शहर के नरौरी में 1974 को आयोजित किया गया था। उस वक्त की तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी। नतीजा इंदिरा गांधी को 1977 में हार का सामना करना पड़ा, क्योंकि वह दौर समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण का था। कांग्रेस का दूसरा चिंतन शिविर मध्यप्रदेश के पचमढ़ी में 1998 को हुआ, जिसमें सीताराम केशरी को हटाकर सोनिया गांधी को पार्टी की कमान सौंपी गई, तब कांग्रेस को 1998 और फिर 1999 में अकेले दम पर चुनाव लडऩे का खामियाजा भुगतना पड़ा। अटलजी के नेतृत्व में 13 महीने और फिर 5 साल की भाजपा सरकार रही। कांग्रेस का तीसरा चिंतन शिविर 2003 में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में हुआ और कांग्रेस में कुछ समविचारी दलों से गठबंधन किया और 2004 से 2014 तक मनमोहन सिंह की अगुवाई में यूपीए की सरकार बनी। फिर कांग्रेस का चौथा चिंतन शिविर 2013 में जयपुर में हुआ। जयपुर के इसी चिंतन शिविर में राहुल गांधी को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। नतीजन मोदी लहर के सामने कांग्रेस के इतिहास की सबसे बड़ी हार हुई। अब फिर से कांग्रेस ने चिंतन शिविर किया है। अब सोंचो (भाजपा) मोदी जी के रहते कांग्रेस का क्या होगा?
 


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