राजनांदगांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 7 मई। अंतर्राष्ट्रीय गैर लाभकारी शैक्षिक एवं मानवीय आर्ट ऑफ लिविंग संस्था 40 वर्ष पूर्ण करने और पद्मविभूषण से सम्मानित गुरुदेव श्रीश्री रविशंकर के 13 मई को जन्मदिवस पर आयुष मिनिस्ट्री भारत और योगा एसोसिएशन के सहयोग से सहायक योगा प्रशिक्षक कार्यक्रम शहर में आगामी 14 से 22 मई तक कराने जा रहा है।
9 दिवसीय कार्यक्रम में प्रारंभ और अंतिम के दो-दो दिन 8 से 9 घंटे महारानी लक्ष्मीबाई स्कूल में ऑफलाइन होगा तथा अन्य 5 दिन ऑनलाइन क्लासेस होगी। कार्यक्रम में योग की जानकारी प्रतिदिन के लिए शरीर और मन को समझने, जीवन शैली प्रबंधन के टिप्स, संचार और शिक्षण कौशल में वृद्धि, यौगिक सफाई तकनीक, सामान्य योग प्रोटोकॉल, सूक्ष्म व्यायाम, सूर्य नमस्कार, आसन, प्राणयाम, ध्यान और विश्राम का अनुभव कराया जाएगा। उक्त जानकारी शनिवार को प्रेसवार्ता में डॉ. खिलेश्वरी साव ने दी।
डॉ. साव ने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अष्टांगयोग सिद्धांत का पालन करते अपने शरीर के अवयव और प्रकृति को पहचानकर योगा अभ्यास करना चाहिए, क्योंकि हमारे तनाव का मुख्य कारण हमारे शरीर में रजस, तमस, कफ, पित्त और वात के असंतुलन से होता है। उन्होंने बताया कि हमारी धारणा बनी हुई है कि हम टीवी चैनल, युट्युब वीडियो आदि देखकर योगा कर लेते है, फिर हम क्यों योगा क्लास जाए, जो मेरे विचार से हमारी सबसे बड़ी भूल है, क्योंकि हमें ज्ञात नहीं अपने शरीर की प्रकृति के अनुसार कौन सा योगा करना चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण बात क्या नहीं करना है। योग शास्त्र कहता है योगा से जितना लाभ होता है, यदि हम बिना ज्ञान के करते हैं तो हमारे शरीर और मन पर कई गुना हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
डॉ. साव ने बताया कि हमारे साथ एक सज्जन चार दिनों के लिए योगा क्लास ज्वाईन किए, जो विगत 40 वर्षों से योगा करते आ रहे हैं। क्लास के 2 दिन बाद उन्होंने अपना अनुभव बताया।
इतने वर्षों से योगा कर मैं इतना रिलेक्स महसूस नहीं किया, जो अपने पूर्वाग्रह को छोडक़र आपके निर्देशों का पालन करते आज सही तरीके से योगा करके अनुभव किया। योगा करने के लिए सबसे बड़ी बात यह है कि हमें क्या नहीं करना है, यह ज्ञात होना चाहिए जैसे हमारे शरीर का पित्त, बीपी, गर्मी बढ़ा हुआ है, वातावरण भी गर्म है और हम कपालभाति किए जा रहे है तो हमें कैसे आराम मिल सकता है। वर्तमान समय में योग फैशन बन गया है। जैसे कपड़ों का फैशन, भोजन का जो जायका का दौर चलता है, देखकर उसे अपना लेते है। दूसरी बात इसी तरह हमें यह ज्ञान नहीं होता कि आसनों का क्रम क्या हो?