राजनांदगांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़, 1 मई। खैरागढ़ महोत्सव का शनिवार को समारोह पूर्वक समापन हुआ। बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत ने कहा कि आज जीवन में जो आपाधापी है, उसमें शास्त्रीय संगीत, नृत्य कला की नितांत आवश्यकता है। यह मन-मस्तिष्क को शुद्ध करने के साथ ही मन को शांति प्रदान करता है और आज की जीवनशैली में इसकी नितांत आवश्यकता है।
शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य कला पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। शास्त्रीय संगीत से खैरागढ़ की विश्व में पहचान बनी हुई हैं। राजा वीरेंद्र बहादुर और रानी पद्मावती ने अपनी पुत्री राजकुमारी इंदिरा के नाम पर इस विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी थी और आज यह विश्वविद्यालय नित्य नए मुकाम पर पहुंच रहा है।
श्री महंत ने आगे कहा कि यह विश्वविद्यालय का उत्तरदायित्व है कि वह स्वस्थ संगीत व वातावरण का ख्याल रखें। उन्होंने कहा कि राजा वीरेन्द्र बहादुर और रानी पद्मावती के दान और योगदान से इस विश्वविद्यालय की स्थापना हो सकी है। यह विश्वविद्यालय भारत की सर्वश्रेष्ठ साधना केंद्र के रूप में स्थापित हुआ है। यह सब की मेहनत का नतीजा है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति पद्मश्री ममता चंद्राकर ने कहा कि इस विश्वविद्यालय की आज जो पहचान बनी है, उसमें राजा वीरेंद्र बहादुर और रानी पद्मावती का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि मैं कला और संगीत के प्रति उनकी दूरदर्शिता को नमन करती हूं। राजपरिवार ने इस विद्यालय को जो दान दिया और इस विश्वविद्यालय की स्थापना की है, इससे देश ही नहीं दुनिया में खैरागढ़ की विशिष्ट पहचान बनी है। इस प्रकार के आयोजन से विद्यार्थी गण कला में आए परिवर्तन और बदलाव को देख समझ सकते हैं।
इस कार्यक्रम को समापन करते हुए अभिभूत हूं। सभी के सहयोग से खैरागढ़ महोत्सव देश में स्थापित समारोह के रूप में महत्व रखता है। इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सांसद कोरबा ज्योत्सना महंत, संसदीय सचिव कुंवर निषाद, विधायक यशोदा नीलाम्बर वर्मा, नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र वर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधि, नागरिकगण, विश्वविद्यालय के अधिष्ठातागण, विश्वविद्यालय के विद्यार्थी तथा जनसमुदाय उपस्थित थे।
रात्रि सांस्कृतिक कार्यक्रम में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं की अरपा पैरी के धार राज्य गीत एवं लोक में राम, योगेश कुमार शंकर नई दिल्ली का शहनाई वादन कलापिनी कोमकली देवास का शास्त्री गायन, मनोहर कुमार एवं समूह पुरुलिया पश्चिम बंगाल का छाऊ नृत्य तथा चंद्रकांत पाटील एवं साथी कोल्हापुर महाराष्ट्र का लावणी नृत्य एवं महाराष्ट्र की लोक कला की मनमोहक प्रस्तुति हुई।
आभार प्रदर्शन खैरागढ़ महोत्सव के संयोजक प्रोफेसर हिमांशु विश्वरूप द्वारा व्यक्त किया गया।