रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 2 फरवरी। कान्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ;कैटद्ध के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर परवानी, प्रदेश कार्यकारी मगेलाल मालू, प्रदेश कार्यकारी अघ्यक्ष विक्रम सिंह देव, प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र दोषी, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल, ने केंद्रीय बजट को एक प्रगतिशील एवं व्यापारि क आर्थिक दस्तावेज बताया है। उनका कहना है कि इसके प्रावधान देश भर के व्यापारियों को व्यापार करने अधिक सुविधा देंगे । केंद्रीय बजट के कई प्रावधानों से बाजार को बड़ी ताकत मिलेगी। चाहे वह एमएसएमई के लिए दोगुने प्रावधान हो चाहे, कृषि और स्वास्थ्य के लिए बेहतर घोषणाएं हो। रोड, रेल, रियल एस्टेट, एमएसएमई, कार्पोरेट आदि सेक्टरों में कई अच्छी घोषणाएं हुई हैं। टैक्स ऑडिट की सीमा 5 से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए कर दी गई है। ऑटोमोबाइल्स सेक्टर के लिए स्क्रै पॉलिसी से वायु प्रदूषण में लगाम लगने के साथ ही ऑटोमोबाइल्स को बूस्टर मिलेगा। रियल एस्टेट से1टर में अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर के लिए 1.50 लाख रु ए की सब्सिडी एक साल यानि 2022 तक बढ़ा दी गई। इससे रियल एस्टेट को काफी मदद मिलेगी। डिजिटल इंडिया कैंपेन के लिए 3700 करोड़ का प्रावधान किया गया है। स्टैंडअ इंडिया के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए मार्जिन मनी की जरूरत 25 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दी गई है।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि हम वित्त मंत्री से असहमत हैं कि जीएसटी को तर्कसंगत बनाया गया है जबकि ठीक इसके विपरीत जीएसटी अत्यधिक जटिल कर प्रणाली बन गई है और साथ ही इस बात का गहरा अफसोस है कि भारत के खुदरा व्यापार के लिए कोई समर्थन नीति घोषित नहीं की गई है, जो 80 लाख करोड़ से अधिक का वार्षिक कारोबार करता है और देश में लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करता है ।
कोई राहत नही,व्यवसायी, वेतनभोगी से लेकर किसान तक सब निराशा
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड ऑफ इंडिया रायपुर शाखा के सचिव रवि ग्वालानी ने सोमवार को पेश किए गए बजट के संबंध में प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बजट से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन उनके बजट ने सारी उम्मीदों पानी फेर दिया। व्यापारी वर्ग को किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी गयी है और वेतनभोगियों के लिए भी यह बजट सिर्फ एक छलावा साबित हुआ। पूरे देश के लोगों की निगाहें थी कि कुछ राहत मिलेगी लेकिन राहत देना तो दूर पेट्रोल व डीजल पर सेस लगा कर सरकार ने पूरे देश में महंगाई को बढ़ावा देने का काम किया है।
किसान वर्ग को भी इस बजट से कोई भी रियायत या राहत नहीं मिली है। 12 लाख करोड़ का लोन सरकार लेगी इससे यह कहा जा सकता है कि सरकार के ास ैसे बिल्कुल नही है और अगर केंद्र सरकार इतना कर्ज लेगी तो व्यापारियों का क्या होगा। रोजमरा के समान जैसे मोबाइल फोन, एल ई डी लाइट्स, फ्रिज के दाम बढ़ेगें इससे आम आदमी एक बोझ बढ़ेगा।
प्रोविडेंट फण्ड के ब्याज सरकार ने टैक्स लगा दिया है इससे यह कहा जा सकता है कि सरकार की मंशा किसी को भी राहत देने की नही है। यह बजट किसी भी वर्ग के काम का नही है, हर वर्ग में भारी निराशा है।



