रायपुर

सांसारिक सुख का अवसर मिले तो पाप करने को तैयार रहता है मनुष्य: साध्वी
18-Jul-2025 7:06 PM
सांसारिक सुख का अवसर मिले तो पाप करने को तैयार रहता है मनुष्य: साध्वी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 18 जुलाई। दादाबाड़ी में आत्मोत्थान चातुर्मास 2025 के अंतर्गत चल रहे प्रवचन श्रृंखला में परम पूज्य श्री हंसकीर्ति श्रीजी म.सा. ने धर्मरत्न प्रकरण ग्रंथ का पठन कर रही हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को उन्होंने कहा कि दुनिया में चार प्रकार के लोग रहते हैं, पहला जो दूसरों को खुश करके खुश होता है, दूसरा वह जो दूसरों को खुश देखकर खुश होता है, तीसरा वह जो दूसरों को दुखी देखकर खुश होते है और चौथा वह जो दूसरों को दुखी करके खुश होता है। अब आप खुद को पहचाने कि आप किस प्रकार के व्यक्ति हैं।

साध्वी जी कहती हैं कि हम यह पहचान नहीं पाते कि हम कैसे व्यक्ति हैं क्योंकि हमें जब भी वर्तमान में सांसारिक सुख प्राप्त करने का अवसर मिलता है तो हम पाप करने के लिए तैयार हो जाते हैं। फिर हमारे साथ जो होता है उससे बचने हमें धर्मसत्ता की शरण में जाना पड़ता है क्योंकि कर्मसत्ता से हमें केवल धर्मसत्ता ही बचा सकती है।

हमेशा यह होता है कि पाप करने का समय आए तो मन उसमें ढल जाता है लेकिन जब धर्म करने का समय आए तो मन नहीं लगता। वर्तमान में जब सुख भोगने का मौका मिला तो व्यक्ति भविष्य की चिंता नहीं करता।

साध्वीजी ने बताया कि एक समय की बात है, एक सेठ थे जो गहरे धर्मप्रेमी थे। प्रभु के प्रति उनका समर्पण अत्यंत गहन था। एक दिन अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्होंने तुरंत डॉक्टर को घर बुलाया। डॉक्टर ने उनका अच्छी तरह से जांच किया और फिर गंभीर स्वर में कहा, सेठ जी, आपकी बीमारी का कोई आम इलाज नहीं है। सिर्फ एक दवा है जो आपकी हालत में सुधार ला सकती है- मछली का तेल।

सेठ ने चौंककर पूछा, ऐसी कौन सी दवा है जिसे मैं नहीं ले सकता? डॉक्टर ने समझाते हुए कहा, वह दवा मछली के तेल से बनी है। आप चाहें तो इसका प्रयोग कर सकते हैं, मगर मुझे लगा आपकी आस्था इसे अनुमति नहीं देगी। सेठ ने दृढ़ता से जवाब दिया, किसी जीव की जान लेकर मैं अपनी जान नहीं बचा सकता। मछली का तेल मैं नहीं लूंगा। डॉक्टर ने सिर हिलाते हुए कहा, जैसी आपकी मर्जी, लेकिन अगर आप कभी विचार बदलें, तो मुझे बताइएगा।

 

 

 

 

डॉक्टर के जाने के बाद, सेठ का एक मित्र जो पास ही बैठा था, बोला, भाई, तुम्हारी बीमारी का इलाज सिर्फ मछली के तेल से संभव है। तुम्हारी हालत गंभीर है और तुम्हारे ऊपर तुम्हारे माता-पिता, पत्नी और बच्चे- कुल सात लोगों की जिम्मेदारी है। अगर तुम्हें कुछ हो गया, तो उनका क्या होगा? एक बार दवा ले लो और फिर पश्चाताप कर लेना। कई महान लोगों ने भी प्रायश्चित करके मोक्ष पाया है।

मित्र की बातें सेठ के मन को झकझोर गईं। उसने बहुत सोच-विचार किया और अंतत: डॉक्टर से मछली का तेल मंगवाकर उसका उपयोग किया। दवा लेने के बाद उनकी तबीयत में आश्चर्यजनक रूप से सुधार आया। वे फिर से अपने रोजमर्रा के काम करने लगे। लेकिन उसी रात, जब सब कुछ सामान्य लग रहा था- सेठ का जीवन समाप्त हो गया।

वर्तमान में सुख प्राप्त करने की चाह आपको पाप के रास्ते में चलने पर मजबूर कर देता है। जबकि वर्तमान में दुख सहन कर लेना चाहिए क्योंकि दुख पाप के उदय से आता है जिसे हमें सहन कर लेना चाहिए। दूसरे के जीवन को देखकर सुख की आशा न करें क्योंकि सुख प्राप्त करने के लिए पुण्य चाहिए और जीवन में गुण पुरुषार्थ से आता हैं, दूसरों के गुणों को देखिए, उन्हें अपनाइए।

श्री ऋ षभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय कुमार भंसाली, आत्मोत्थान चातुर्मास समिति 2025 के अध्यक्ष अमित मुणोत ने बताया कि दादाबाड़ी में सुबह 8.45 से 9.45 बजे साध्वीजी का प्रवचन होगा। आप सभी से निवेदन है कि जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।


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