रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 7 जून। अगस्त 1980 में तत्कालीन सिंचाई मंत्रालय ने जल अधिशेष बेसिनों से कम जल वाले बेसिनों में पानी स्थानांतरित करने के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) तैयार की थी। एनपीपी के तहत, राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) ने व्यवहार्यता रिपोर्ट (एफआर) तैयार करने के लिए 30 लिंक (प्रायद्वीपीय घटक के तहत 16 और हिमालयी घटक के तहत 14) की पहचान की। सभी 30 लिंकों की पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट (पीएफआर) तैयार कर ली गई हैं और संबंधित राज्य सरकारों को भेज दी गई हैं। सर्वेक्षण और जांच के बाद, प्रायद्वीपीय घटक के तहत 14 लिंकों की एफआर और 2 लिंकों की एफआर और हिमालयी घटक के तहत 7 लिंकों (भारतीय भाग) की मसौदा एफआर पूरी हो गई है। वर्तमान स्थिति, संबंधित राज्य और लाभ अनुबंध में दिए गए हैं । संसद में पूर्व जल संसाधन मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए प्रायद्वीपीय नदी घटक के अंतर्गत चार प्राथमिकता वाले लिंक की पहचान की गई है। ये हैं: केन-बेतवा लिंक परियोजना (केबीएलपी) चरण-ढ्ढ और ढ्ढढ्ढ, दमनगंगा-पिंजल लिंक परियोजना, पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजना और महानदी गोदावरी लिंक परियोजना। संबंधित राज्य सरकारों की सहमति के बाद किसी परियोजना की डीपीआर तैयार की जाती है। केबीएलपी चरण-ढ्ढ और चरण-ढ्ढढ्ढ, दमनगंगा-पिंजल लिंक परियोजना और पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजना की डीपीआर पूरी हो चुकी हैं। केबीएलपी चरण-ढ्ढ की तकनीकी-आर्थिक मंजूरी और विभिन्न वैधानिक मंजूरियां प्रदान की जा चुकी हैं। महानदी-गोदावरी लिंक की डीपीआर पर विचार नहीं किया जा सका क्योंकि ओडिशा सरकार महानदी-गोदावरी लिंक के लिए सहमत नहीं थी, जो 9 लिंक सिस्टम यानी महानदी-गोदावरी-कृष्णा-पेन्नार-पलार-कावेरी-वैगई-गुंडर लिंकेज की एक मातृ कड़ी है, क्योंकि मणिभद्र बांध में बहुत अधिक जलमग्नता है। ओडिशा सरकार के सुझावों के आधार पर, एनडब्ल्यूडीए ने कम जलमग्नता के साथ महानदी-गोदावरी लिंक परियोजना का एक प्रारंभिक संशोधित प्रस्ताव तैयार किया है और ओडिशा सरकार को प्रस्तुत किया है।
दूसरी ओर वैसे 7 वर्ष पूर्व भाजपा सरकार ने प्रदेश की पांच नदियों को जोडऩे योजना बनाकर 36.55करोड़ रूपू बजट से दे भी दिए थे। पूर्व जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के कार्यकाल में महानदी- तांदुला,पैरी-महानदी, रेहर-अरेंग,अहिरन-खारंग, हसदेव -केव?ई शामिल हैं। पिछले वर्ष अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने महानदी -इंद्रावती,केवई-हसदेव को जोडऩे की बात कही थी। महानदी -इंद्रावती को जोडऩे 131किमी नहर का निर्माण किया जाएगा। इससे 100 टीएमसी (2830) घन मीटर जल महानदी कछार में छोड़ा जाएगा। इससे कांकेर जिले में 50 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई हो सकेगी। यानि कुल 3 लाख हेक्टेयर भूमि को पानी मिलेगा।