रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 4 जून। पंडरी कपड़ा मार्केट में नगर निगम द्वारा दूकानों को सील किए जाने के खिलाफ व्यापारियों का विरोध दूसरे दिन भी जारी रहा। हालांकि इसे लेकर व्यापारी बंटे हुए नजर आए। जो दुकानें इस कार्रवाई के दायरे में नहीं है उनके संचालकों ने कारोबार शुरू कर दिया। यानी आधा कपड़ा मार्केट खुल गया। वहीं प्रभावितों की आज विधायक पुरंदर मिश्रा की उपस्थिति में जगन्नाथ मंदिर में बैठक हुई। इसमें निगम के अधिकारी आए। सभी कारोबारियों ने दूसरी ओर दुकान के एक्सटेंशन और गेट का नियमितीकरण करा लेने की जानकारी दी।इस पर निगम के अफसरों ने जांच करने की बात कही।
विधायक की दखल को देखते हुए निगम प्रशासन ने आज की कार्रवाई को रोक दिया है। आज 52 दुकानों को सील करना था। जिन्हें नोटिस जारी हो गई थी। वैसे यह कार्रवाई ऐसे 80 दुकानों पर की जानी है। इस पूरी कार्रवाई को भाजपा में विधायकों, और उनसे जुड़े निगम पदाधिकारियों की खेमेबाजी से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।
दरअसल, नगर निगम की टीम ने सडक़ के दोनों किनारों पर बनी उन दुकानों को सील किया है, जिनके गेट सडक़ दोनों ओर खुले हैं। निगम अधिकारियों का कहना है कि यह नियमों का उल्लंघन है और दुकान का मुख्य प्रवेश द्वार अंदर की ओर होना चाहिए, ताकि फुटपाथ और सडक़ पर अतिक्रमण न हो।
इससे पहले 19 दुकानदार को जोन कमिश्नर एवं नगर निवेश विभाग के अपर आयुक्त को दुकान की दोनो ओर शटर खोलने से संबंधित दस्तावेज पर्याप्त समय देने के बावजूद प्रस्तुत नहीं किये जा सके।
इन दुकानों पर आरडीए और निगम के पूर्व पदाधिकारियों का कहना है कि कपड़ा मार्केट घुसते ही बाएं हाथ की ओर हनुमान मंदिर तक जो दुकानें बनी है वह सब अवैध है। आरडीए बार बार नगर निगम को चिट्ठी लिखते रहा है लेकिन इन आज तक रसूखदार कारोबारियों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। क्योंकि यह न्यू इंदिरा मार्केट के नाम से व्यावसायिक परिसर बने हैं जिसमें 2017 में नहर की जमीन को सिंचाई विभाग से बिना एनओसी लिए आरडीए के लेआउट में शामिल कर बेच भी दिया था। मामला ईओडब्ल्यू तक चला लेकिन उस पर भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और व्यापारियों को आवंटित होने पर बिना नक्शा स्वीकृत के सभी दुकानदार दुकानें बना ली। जो पूर्ण रूप से अवैध है । 2017 में उस समय जीएसटी भी आ गया था लेकिन व्यापारियों ने जीएसटी देने से इनकार कर दिया और आरडीए में रजिस्ट्री नहीं हुई। सिर्फ व्यापारियों के नाम से आवंटित है और आवंटित होने पर बिना नक्शे के दुकाने बनती जा रही हैं ।
इन दुकानों के ऊपर के फ्लोर पूरा अवैध है जहां नीचे शटर लगा था उसको 10 फीट आगे नाले के ऊपर तक बढ़ा दिया गया।इस पर भी बड़ी कार्रवाई की जरूरत है ।
इन दुकानों से हजारो लोग हर रोज़ जाम से परेशान होते है। उनका दरवाजा सामने है और उसको देख के ही उन्होंने दुकान खऱीदी थी बाद में लेआउट के विपरीत पीछे भी शटर लगा कर दोनों तरफ़ दुकान खोल लए है । आरडीए से नगर निगम कमिश्नर को कई बार चिट्ठी भी लिखवाई लेकिन नगर निगम ने कोई कार्यवाही नहीं किये। रायपुर विकास प्राधिकरण को अवैध निर्माण तोडऩे का कोई पावर ही नहीं है इसलिए नगर निगम के भरोसे रहना पड़ता था। पिछले संचालकों के कहने पर आरडीए के सीईओ ने भी बैठक का हवाला देते हुए चिट्ठी भी लिखी लेकिन नगर निगम कोई कार्यवाही नहीं की गई। क्योंकि कार्यवाही नगर निगम कमिश्नर और जोन कमिश्नर को करना होता था जनप्रतिनिधि बोलते रह गए लेकिन पिछले सभी निगम कमिश्नर कार्यवाही नहीं करते रहे।उसके बाद व्यापारी कोर्ट चले गए और कोर्ट से राहत व्यापारियों को अब नहीं मिली है।
अब बताते हैं कि व्यापारी कह रहे हैं कि हमने नियमितीकरण करा लिया है लेकिन नियमितीकरण शटर का नहीं निर्माण का होता है लेकिन शटर दोनों ओर खोल नहीं सकते। जीएसटी मामले में भी व्यापारी कोर्ट चले गए थे वहां से भी व्यापारी हार गए हैं और कपड़ा मार्केट के लेफ्ट साइड जितने भी निर्माण कार्य हुआ है वह सारे अवैध हो चुके हैं अब मैडम महापौर को कोर्ट के आदेश पर सारे अवैध निर्माण को ध्वस्त करना चाहिए।