रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 19 मई। राजधानी में संस्कार भारतीय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय रंगकला मंच कार्यक्रम में मुंबई के फिल्म और रंगकला मंच के अभिनेता मनोज जोशी पहुंचे। वे रविवार को रायपुर प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस मिलिए कार्यक्रम में शामिल हुए।
इस दौरान उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि कला एक व्रत है। कला को आकर देने वाला ही कलाकार है। साधना के बीच इसे छोडऩा नहीं चाहिए। साधक को जीवन में आई समस्याओं का डटकर मुकाबला करना चाहिए। श्री जोशी ने कहा कि उन्हें बचपन से ही कला में रुचि थी । शास्त्री परिवार में जन्मे है। उन्हें परिवार से वेदों का जान। जो उनके कला के मार्ग में सहायक सिद्ध हुए। साधना का परिणाम है कि उन्हें बड़े पर्दे में स्थान मिला। उन्होंने मराठी, गुजराती और हिंदी भाषी फिल्मों में किरदार निभाया।
छत्तीसगढ़ के कला के बारे में कहा कि यहां के कलाकार धनी है। उनमें विविध प्रतिभाएं है। बस उन्हें निखारने की जरूरत है।
ओटीटी को लेकर कहा कि ये पाश्चात्य संस्कृति की देन है। व्यक्ति को खुद सेंसर बनना होगा। कलाकार को खुद देखना होगा कि वह क्या करने जा रहा है। ओटीटी जैसे कंटेंट शिक्षा के मूल्यों में आ रही गिरावट की मुख्य वजह है। पहले मूल्य आधारित शिक्षा दी जाती थी। अब शिक्षा से मल्यों को नष्ट कर दिया।
पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों को आतंकवादियों ने धर्म पूछकर मारा है। ये सिर्फ कुछ लोगों पर हमला नहीं है, बल्कि ये भारत की आत्मा पर हमला है। पहलगाम घटना पर फिल्म अभिनेताओं की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। प्रश्न के जवाब में कहा कि जिसमें क्रिया है, वही प्रतिक्रिया देगा। हमने प्रतिक्रिया दी है। आपरेशन सिंदूर की तारीफ एक्स्स पोस्ट कर की थी। उन्होंने कहा चाणक्य के संवाद पर कहा कि चाणक्य की नीति आज भी प्रास है। चाणक्य भी सिकंदर के के समय युद्धनीति, कूटनीति थी। राजा का कर्तव्य है कि वो जनता के खुशी का ख्याल रखे। अपने देश की सुरक्षित रखे।
नारद सृष्टि के पहले पत्रकार
उन्होंने घर में वेद पुराणों से मिली शिक्षा से जाना कि नारद जी कभी किसी के अहित में नही कहा। उन्होंने तो देवों की बीच हुए संवाद को प्रसारित किया। उनका ये विचार सृष्टि के संचार में विशेष योगदान है। आज के समय में सीरियल, फिल्मों के माध्यम से उन्हें गलत तरीके से परोसा गया। उन्हें मनोरंज के नजरिए से देखा जाता है। हमें चाहिए कि स्कूलों में नाट्य, कला की शिक्षा दी जानी चाहिए। ताकि सुंदर भविष्य की कल्पना की जा सके।