रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 4 अप्रैल। तलाकशुदा, या इसके लिए याचिकाकर्ता,घरेलू हिंसा-दहेज प्रताडऩा पीडि़त, अभा सेवा महिला पुरूष अफसर अपने बाद अपने बच्चों को फैमिली पेंशन के लिए नामांकित कर सकते हैं ।
डीओपीटी के इस फैसले से अवर सचिव भूपिंदर पाल सिंह ने सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को सूचित कर कार्रवाई करने कहा है । इस संबंध में पूर्व के वर्षों में विभाग ने सभी राज्यों,केंद्रीय विभागों से अभिमत मांगा था।
इसके मुताबिक अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के नियम 22 के अनुसार, यदि सेवा के किसी मृतक सदस्य या पेंशनभोगी के जीवित रहने पर उसका जीवनसाथी जीवित रहता है, तो पारिवारिक पेंशन सबसे पहले पति/पत्नी को दी जाती है, और बच्चे तथा परिवार के अन्य सदस्य, अपनी बारी आने पर, तभी पारिवारिक पेंशन के लिए पात्र होते हैं, जब सेवा के मृतक सदस्य/पेंशनभोगी का जीवनसाथी पारिवारिक पेंशन के लिए अपात्र हो जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है।
यह भी कहा है कि पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीएंडपीडब्लू) के अप्रैल 24 आदेश के अनुसरण में यह निर्णय लिया गया है कि यदि किसी महिला सेवा सदस्य/महिला पेंशनभोगी के संबंध में तलाक की कार्यवाही न्यायालय में लंबित है, या महिला सेवा सदस्य/महिला पेंशनभोगी ने अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम या दहेज निषेध अधिनियम या भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज कराया है, तो ऐसी महिला सेवा सदस्य/महिला पेंशनभोगी अपनी मृत्यु के बाद अपने पति के बाद अपने पात्र बच्चे/बच्चों को पारिवारिक पेंशन देने का अनुरोध कर सकती है। ज्ञापन के प्रावधान यथावश्यक परिवर्तनों सहित अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्यों पर भी लागू होंगे। ऐसे मामलों के अफसर अपने बच्चों को पेंशन के लिए नामांकित कर सकते हैं ।