रायपुर

जीएडी का आदेश संविधान के अनुच्छेद 39 क के खिलाफ
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 28 जुलाई। शेयर बाजार में निवेश को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश का विरोध बढ़ता जा रहा है। पेंशनर महासंघ, आम आदमी पार्टी के बाद छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन ने इसे भारत का संविधान में आजीविका का अधिकार अनुच्छेद 39 (क) के विरुद्ध बताया है। यह अनुच्छेद 39 (क) राज्य को सभी नागरिकों के लिए आजीविका के पर्याप्त साधन सुनिश्चित करने का निर्देश देता है।
फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा,बी पी शर्मा,राजेश चटर्जी, जी आर चंद्रा,रोहित तिवारी एवं चंद्रशेखर तिवारी का कहना है कि क्या शासन चाहती है कि प्रत्येक सरकारी कर्मचारी एक सीमित,निश्चित और निर्धारित आय में ही अपना जीवन यापन करें ? उस सीमा से परे जाकर उसे अतिरिक्त धन अर्जन करने का अधिकार नहीं है ? जोकि किसी भी तरह से संविधान के अनुच्छेद 39 (क) के पक्ष में नहीं है।प्रत्येक कर्मचारी अपने कर्तव्य के समय विधि द्वारा निर्धारित आचरण नियम में बंधा होता है।
यह भी कर्मचारी का कर्तव्य है कि वह छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुरूप आचरण एवं व्यवहार करें। जिससे कर्मचारी उसके लिए निर्धारित कार्यों के अतिरिक्त अपने कर्तव्य स्थल पर तथा कर्तव्य कार्यावधि के समय अन्य व्यापारिक कार्यों में संलग्न न हो। किंतु निवेश करके अतिरिक्त आय प्राप्त करना संवैधानिक अधिकार है। निवेश करने से कर्मचारी के कार्य,उसकी उत्पादकता एवं कार्यव्यहार में कोई फर्क नहीं पड़ता है।निवेश को सिविल सेवा आचरण नियम के दायरे के अंदर समेटना असंवैधानिक है
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश में कर्मचारी अथवा कर्मचारी के कुटुंब के सदस्य के द्वारा शेयर्स में निवेश या शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने को सिविल सेवा आचरण नियम के उल्लंघन की श्रेणी में रखा गया है।यह नियम शासकीय सेवक के लिए भले ही प्रासंगिक हो,लेकिन कुटुंब के सदस्यों के लिए किसी भी प्रकार से प्रासंगिक नहीं है।कुटुंब के सदस्यों के संबंध में सरकार के द्वारा कोई स्पष्ट दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया है कि कुटुंब में कर्मचारी की पत्नी/पति या माता-पिता,भाई-बहन,पुत्र-पुत्री,पुत्रवधू या दामाद कौन आएगा?इन संबंध को अगर कुटुंब के दायरे में रखा जाए तो उपरोक्त सभी लोग बालिग और वयस्क होते हैं।उनको अपना स्वतंत्र व्यापार,व्यवसाय,धन अर्जन करने का अधिकार है।उनको कर्मचारी के रिश्तेदार के रूप में देखना तथा उनको व्यापार करने से मना करना व्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है।