रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 28 जुलाई। दादाबाड़ी में आत्मोत्थान चातुर्मास प्रवचन में सोमवार को साध्वी हंसकीर्ति ने कहा कि दुख का सबसे बड़ा कारण हमारी अपेक्षाएँ होती हैं। यह अपेक्षा ही है जो हमारे रिश्तों में खटास लाती है, चाहे वह दोस्ती हो या पारिवारिक संबंध। अक्सर हम यह भूल जाते हैं कि अपने ही घर के लोगों से उम्मीद करना, हमारी सबसे बड़ी भूल बन सकती है।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि आपका रुमाल गिर गया। अगर घर का कोई सदस्य आपको यह बता दे, तो आप इसे सामान्य बात मानते हैं—ना धन्यवाद, ना कृतज्ञता। पर अगर यही बात कोई बाहर का व्यक्ति बताता है, तो आप झुक-झुक कर उसका आभार जताते हैं। क्यों? क्योंकि हमने अपने अपनों से अपेक्षा बाँध रखी है कि वे तो ऐसा करेंगे ही—यह उनका कर्तव्य है। इसी सोच से रिश्तों में अपनापन कम और औपचारिकता ज़्यादा हो जाती है। गुरुदेव बताते हैं कि सुख और दुख की जड़, हमारी अपेक्षाओं में ही छिपी है। जब आप किसी से कुछ चाहते हैं और वह पूरी नहीं होती, तो पीड़ा होती है। लेकिन जब आप किसी से कुछ भी नहीं चाहते, तो आप भीतर से पूर्ण और शांत रहते हैं। यही सच्चा सुख है।
गिरनारी नेमि जन्मकल्याणक महोत्सव कल
दादाबाड़ी में कल गिरनारी नेमि जन्मकल्याणक महोत्सव का आयोजन होने जा रहा है। सुबह 9 बजे भगवान का अष्टोतरी अभिषेक होगा। जिसम विधिकारक राकेश भाई होंगे। वहीं, रात को 8.30 बजे गिरनार से भव पार का आयोजन किया जाएगा। इसके संचालक संकेत गांधी होंगे। दोनों ही आयोजन में नासिक के संगीतकार हर्ष शाह अपनी प्रस्तुति देंगे और एकसना की भी व्यवस्था होगी।