रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 26 मार्च। राज्य वित्त आयोग के पूर्व सदस्य, और अधिवक्ता नरेशचंद्र गुप्ता ने महादेव आन लाइन सट्टेबाजी को लेकर पिछले साल सीबीआई डायरेक्टर को ज्ञापन सौंपा था, जिसमें पुलिस अफसरों की संलिप्तता का जिक्र करते हुए कार्रवाई की मांग की थी।
नरेशचंद्र गुप्ता ने एक बयान में बताया कि महादेव बेटिंग ऐप घोटाले में छत्तीसगढ़ पुलिस के एएसआई चंद्रभूषण वर्मा, दुबई निवासी महादेव ऐप के प्रोपराइटर शुभम सोनी, भिलाई निवासी सतीश चंद्राकर और असीम दास आदि के बयान प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पीएमएलए अधिनियम की धारा 50 के तहत दर्ज किए गए थे।
उन्होंने कहा कि यह मामला गंभीर है क्योंकि इसे छत्तीसगढ़ के भारतीय पुलिस सेवा के प्रभावशाली अधिकारियों के संगठित सिंडिकेट द्वारा अंजाम दिया गया है, जो राज्य के कुछ प्रभावशाली राजनेताओं के साथ मिलीभगत करके राज्य में संवेदनशील पदों पर आसीन हैं। इतना ही नहीं, उक्त अपराध के अंतरराष्ट्रीय पदचिह्न हैं, जिसके आतंकवाद और नार्को फंडिंग से जुड़े होने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि इस घोटाले के दुबई स्थित प्रमोटरों में से एक शुभम सोनी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को संरक्षण राशि के रूप में 508 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आरोप उनके हलफनामे में लगाया गया है, जो इस घोटाले की अंतरराष्ट्रीय प्रकृति को उजागर करता है।
गुप्ता ने बताया कि मीडिया में यह खबर आई है और सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है कि उक्त धन का संबंध महादेव बेटिंग ऐप के प्रमोटरों की मिलीभगत से गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के आतंकी फंडिंग से भी है।
उन्होंने कहा कि एएसआई चंद्रभूषण वर्मा ने ईडी की हिरासत में कबूल किया कि उन्होंने हवाला चैनलों के माध्यम से दुबई से 81 करोड़ से अधिक प्राप्त किए थे, जिसे छत्तीसगढ़ में महादेव सट्टा ऐप के सुचारू संचालन के लिए सुरक्षा धन के रूप में संवेदनशील पदों पर आसीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को वितरित किया जाना था। चंद्रभूषण वर्मा ने आगे खुलासा किया कि राहुल उप्पल अवैध सट्टा ऐप घोटाले का प्रमोटर है, और जिसके खिलाफ छत्तीसगढ़ के विभिन्न पुलिस थानों और देश के विभिन्न हिस्सों में अपराध लंबित थे, उससे छत्तीसगढ़ पुलिस के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता का अंदाजा छत्तीसगढ़ पुलिस के एएसआई चंद्रभूषण वर्मा के बयान से लगाया जा सकता है, जिन्होंने ईडी के सामने गवाही दी थी कि मई 2022 से पहले सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल सीधे तौर पर इंट. आईजी (आनंद छाबडा), आईजी (प्रशासन) (आनंद छाबडा) और दुर्ग के एसपी (प्रशांत अग्रवाल और अभिषेक पल्लव) और रायपुर के एसपी (शेख आरिफ और प्रशांत अग्रवाल) के संपर्क में थे, क्योंकि उस समय उनके पास छोटे स्तर का व्यवसाय था और उन्हें उनसे सुरक्षा मिली हुई थी।
जैसे-जैसे इनका क्षेत्र पूरे छत्तीसगढ़ में फैल गया, पुलिस कार्रवाई से सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री के ओएसडी की भागीदारी आवश्यक हो गई। इसके बाद अपने पद का दुरुपयोग करके उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान करना शुरू कर दिया और बदले में उन्होंने उनसे रिश्वत की मांग भी की।
प्रवर्तन निदेशालय ने एलडी ट्रायल कोर्ट में अपनी दलीलों में, जो रिकॉर्ड का हिस्सा हैं, आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ में महादेव बेटिंग ऐप के अवैध संचालन को चलाने के लिए सुरक्षा राशि के रूप में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को वितरित करने के लिए दुबई से बड़ी धनराशि स्थानांतरित की गई थी। इन आरोपों को ईडी द्वारा एसीबी छत्तीसगढ़ को इन पुलिस अधिकारियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध करते हुए लिखे गए पत्र से और बल मिला है।