रायपुर

आरएसएस के वरिष्ठ नेता डॉ. सक्सेना ने दी जानकारी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 मार्च। आरएसएस के क्षेत्रीय संघ चालक डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना ने बताया कि इस विजयादशमी को संघ का सौ वर्ष पूरा हो रहा है। ये वर्ष शताब्दि वर्ष होगा। इस शताब्दि वर्ष में हम अपने काम को नीचे तक ले जाने का प्रयास किया जाएगा। इसे लेकर एक संकल्प भी संघ ने पारित किया है। संघ के विभिन्न कार्यों को लेकर घर-घर जाने की योजना बनाई गई है। सभी मंडलों और बस्तियों में हिन्दू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। ब्लॉक लेवल पर सद्भाव बैठके होंगी। जिला स्तर पर प्रबुद्ध जनों के साथ बातचीत का कार्यक्रम होगा।
डॉ. सक्सेना ने कहा कि युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम प्रान्तों की ओर से आयोजित किए जाएंगे। इसमें राष्ट्रनिर्माण, सेवा गतिविधियों और पंच परिवर्तन पर केंद्रित कार्यक्रम किए जाएंगे।
छत्तीसगढ़ के संदर्भ में उन्होंने बताया कि 265 नये स्थान में संघ का काम शुरू हुआ है, जिसमें 263 शाखाएं छत्तीसगढ़ में बढ़ी है। पूरे देश के साथ ही छत्तीसगढ़ में भी संघ के काम और शाखाएं बढ़ी है। बैंग्लूर के प्रतिनिधि सभा में संघ ने बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद वहां अल्पसंख्यकों की स्थिति कठिन हो गई है, उस विषय में संघ ने एक प्रस्ताव पास किया है। जिसमें बांग्लादेश के हिन्दू समाज के साथ एकजुटता से खड़े रहने की बात है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रस्ताव को एक संवसेवक ने पढ़ कर सुनाया। प्रस्ताव में इस बात का जिक्र है कि संयुक्त राष्ट्र को हिंदुओं के साथ वहां हो रहे अत्याचार को। गंभीरता से लेना चाहिए और इसे रोकने दबाव बनाया जाना चाहिए।
धर्मांतरण पर कठोर कानून बनाने का समय
हिन्दू सम्मेलन और धर्मांतरण-मतांतरण पर डॉ. सक्सेना ने कहा-हिन्दू सम्मेलन सिर्फ संघ ही नहीं जनसामान्य मिलकर करे ऐसी कोशिश है. नीचे तक हिन्दू संगठन जागे और मतांतरण-धर्मांतरण रुके ये आवश्यक है। धर्मांतरण और मतांतरण का विषय पार्टीगत राजनीति से ऊपर है। विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के विधायकों ने धर्मांतरण का मुद्दा उठाया. लाभ के लिए जाति बदलना छलावा है। डी लिस्टिंग के लिए अब लोग अधीर हो गए हैं, नेता भी मुझे लगता है जल्द ही अधीर होंगे। परंपराओं को नष्ट करने के लिए विवश किया जा रहा है। धर्म स्वतंत्र विधेयक आने का समय आ गया है, जल्द ही कठोर कानून बनने चाहिए।
धर्मांतरण-मतांतरण हो या रोहिंग्या बसने का मामला हो, सामाजिक सद्भाव, संघ के विभिन्न कार्यों, स्वदेशी जैसे मामलों को लेकर घर-घर जाने की योजना बनी है। बस्तर के ग्रामीण इलाकों तक दशहरा अच्छे से मनता है, कहीं नहीं भी मनता होगा तो हम अच्छे से वहां भी मनाएंगे। कई संस्थाएं जिन्हें विदेशों से पैसा मिलता था उन्हें मोदी सरकार ने रोका है. ऐसी चर्चा रहती थी कि ये संस्थाएं धर्मांतरण-मतांतरण के लिए भी काम के लिए भी पैसे का इस्तेमाल करती थी। अभी भी कुछ संस्थाएं-कंपनियों की ओर से ऐसा होने की बात है, जिसे देख कर रोका जाना चाहिए।