रायपुर

आगामी चुनाव से लागू करने के लिए अध्यादेश लाना होगा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 24 अक्टूबर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष आरएस विश्वकर्मा ने आयोग का पहला प्रतिवेदन सौंपा। इसमें स्थानीय निकायों और पंचायतों में ओबीसी वर्गो की आबादी और उस आधार पर सीट आरक्षण पर नई सिफारिश की गई है। जो आयोग को सौंपे गए सात बिंदुओं में से आखिरी है।
इस आयोग का गठन तीन माह पहले कुल सात बिंदुओं पर ओबीसी समाज की स्थिति पर रिपोर्ट देने किया गया था। सरकार चाहे तो आयोग का कार्यकाल बढ़ाकर शेष 6 बिंदुओं पर रिपोर्ट-सिफारिशें ले सकती है। इस पर सरकार का रूख आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।
इस प्रतिवेदन पर आयोग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सरकार यदि दिसंबर से फरवरी के बीच होने वाले निकाय पंचायत चुनाव में नए सिरे से आरक्षण लागू करना चाहती है तो निर्णय लेने होंगे। इस रिकमंडेशन-रिपोर्ट को पहले कैबिनेट मंजूर करना होगा। रिपोर्ट को सार्वजनिक करने सा न करने का अधिकार कैबिनेट के पास ही है। मंजूर कर कैबिनेट, वरिष्ठ सचिवों की समिति अध्ययन कर विधि विभाग को परीक्षण, नियम बनाने के लिए भेजेगी। विधि की अनुमति के बाद अध्यादेश या फिर दिसंबर में होने वाले शीत सत्र में विधेयक लाकर आरक्षण में संशोधन करना होगा। उसके बाद ही निकायों ,पंचायतों में नए सिरे से पद आरक्षण कर चुनाव के लिए आगे बढ़ा जा सकेगा। इसके लिए समयाभाव को देखते हुए संभव है कि अध्यादेश लाकर भी किया जा सकता है। आने वाले दिन त्यौहार और राज्योत्सव के आयोजन को देखते हुए इस पर निर्णय नवंबर के दूसरे सप्ताह में ही लिया जा सकता है। वैसे सीएम साय ने 28 अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक बुलाई है। इसमें इस रिपोर्ट पर प्रारंभिक चर्चा होने की प्रबल संभावना है।
पांच सौ पेज की रिपोर्ट
आयोग के सूत्रों ने बताया कि यह प्रतिवेदन 500 पेज का है।इसमें पार्षद से महापौर और पंच से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक एक लाख जनप्रतिनिधियों के पद आरक्षण की स्थिति और नई सिफारिश की गई है। इनमें 11हजार पंचायतों में डेढ़ लाख पंच सरपंच, जनपद-जिला पंचायत सदस्य अध्यक्ष,122 नगर पंचायत,48 पालिका परिषद और 14 नगर निगमों में पार्षद महापौर के पद शामिल हैं।
वन स्टेट वन इलेक्शन की भी पेचीदगी
यहां बता दें कि राज्य सरकार इस बार निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने पर भी काम कर रही है। ऐसे में नए आरक्षण को लागू करने पर अध्यादेश लाकर ही, पदों की लॉटरी से आरक्षण तय किया जा सकता है। और उसके बाद एक चुनाव की प्रक्रिया और चुनाव कार्यक्रम बनाया जा सकेगा। इस बार आरक्षण में रोटेशन सिस्टम लागू नहीं होगा। वहीं वार्डों के परिसीमन को लेकर हाईकोर्ट में दो दिन पहले ही 50 से अधिक याचिकाओं को खारिज कर दिया है।