रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 1 अप्रैल। वित्त वर्ष पूरा बीत गया लेकिन छत्तीसगढ़ के पांच लाख अधिकारी-कर्मचारियों को उनके हक का बकाया मंहगाई भत्ता अखिरकार नहीं मिला। राज्य कर्मचारियों को मंहगाई भत्ते की दो किश्त बकाया है।
सरकार ने कल ही खत्म हुए बजट में सालभर में दी जाने वाली डीए के लिए बजट रखा गया था। इसे विधानसभा ने मंजूर भी किया, लेकिन राज्य सरकार ने भुगतान आदेश जारी करने को लेकर रूचि नहीं दिखाई। इस बीच केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों-अधिकारियों को डीए की दोनों किश्तों का भुगतान कर दिया। उनके साथ-साथ कांग्रेस शासित राजस्थान सरकार ने भी भुगतान कर दिया है। किंतु छत्तीसगढ़ सरकार ने अब तक वो दिलदारी नहीं दिखाई है। राज्य कर्मचारियों कों 9 प्रतिशत डीए दिया जाना है। इसकी मांग को लेकर प्रदेश के कर्मचारी कई बार मुख्य सचिव एसीएस(सीएम) से मुलाकात कर चुके हैं। और हर बार उन्हें आश्वासन देकर लौटाया जाता रहा है। राज्य सरकार अपनी मुफ्त की योजनाओं के लिए हर 15-15 दिनों में रकम एक क्लिक पर जारी करने में देर नहीं कर लेकिन कर्मचारियों का डीए पूरे साल भर से बैकलॉग बना हुआ है।
इस संबंध में कर्मवारी संगठनों के नेता-सदस्य टवीट, रीटवीट कर अपनी नाराजगी जता रहे है। फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने टवीट किया कि जब भी केंद्र सरकार डीए जारी करती है। ठीक एक घंटे बाद अशोक गहलोत अपने कर्मियों को दे देते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार को भी राजस्थान की भांति 9 प्रतिशत डीए दे देना चाहिए। वर्मा ने कहा कि डीए के लिए हर बार आंदोलन करना उचित नहीं है। वर्मा ने सीएम,सीएस को भी टैग किया है। इसे रिटवीट करते हुए एक कर्मचारी ने पोस्ट किया कि कर्मचारियों के साथ वर्तमान सरकार की नीति भेदभाव पूर्ण है।


