रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर.27 फरवरी। जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा ,अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू के नेतृत्व में मेडियस्टाइनल हाइडेटिड सिस्ट की सफल सर्जरी की गई। डॉ. कृष्णकांत साहू के अनुसार संभवत: प्रदेश में पहली बार मेडियस्टाइनल हाइडेटिड सिस्ट की सर्जरी अम्बेडकर अस्पताल के हार्ट, चेस्ट और वैस्कुलर सर्जरी विभाग में की गई है। ऑपरेशन के बाद मरीज स्वस्थ है एवं अपने घर जाने को तैयार है।
यह बीमारी जिसको हाइडेटिड सिस्ट कहा जाता है। यह कुत्ते के मल के द्वारा फैलता है। यह एक कृमि इकाइनोकोकस ग्रेन्यूलोसस कहा जाता है। यह उन लोगों को ज्यादा होता है जो कुत्ते के साथ रहते हैं या खेलते हैं। इस बीमारी सबसे ज्यादा लिवर और फेफड़े को प्रभाबित करता है। सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू बताया कि मेरे 15 साल के कैरियर में ऐसा केस पहली बार देखा। मेडियस्टाइनम का अर्थ होता है दो फेफड़ों के बीच होने वाली बीमारी है। जो नार्थ अफ्रीका एवं साउथ अफ्रीका में सबसे ज्यादा पाया जाता है। यह युवक भी 2 साल पहले बीमार कुत्तों की सेवा करता था। उसी से आशंका है कि यह बीमारी उसी समय आयी होगी।
21 वर्षीय युवक बालोद जिला का रहने वाला है एवं पीएससी. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है। दो महीनों से खांसी एवं सांस लेने में तकलीफ होने लगी। स्थानीय डॉक्टर को दिखाने पर उसको खांसी की दवाई दी गई परंतु जब सांस ज्यादा ही फूलने लगी तो मरीज की दीदी जो कि अम्बेडकर अस्पताल में नर्सिंग इंचार्ज सिस्टर हैं, को बताया। फिर सिस्टर ने छाती का एक्स रे करवाया जिसमें पता चला कि हृदय के ऊपर कुछ गांठ है। इसके बाद डॉ. साहू को संपर्क किया और चेस्ट का सीटी स्कैन कराया तो पता चला कि हार्ट के ऊपर कैंसर थर्ड ग्रेड का ट्यूमर है।
मरीज की दीदी (सिस्टर) सीटीवीएस विभाग में नर्सिंग इंचार्ज रह चुकी हैं तो उनको पता था कि हृदय के कैंसर की सर्जरी अम्बेडकर अस्पताल के हार्ट, चेस्ट, वैस्कुलर सर्जरी विभाग में होता है इसलिए वह तुरंत अपने भाई को यहां पर डॉ. के. के. साहू के पास ले आई। डॉ. साहू ने सीटी. गाइडेड बायोप्सी के लिए कहा। इसमें भी कैंसर के प्रकार का पता नहीं चल पाया। परंतु मरीज की सांस बहुत ज्यादा चल रही थी इसलिए डॉ. साहू ने बिना ज्यादा समय गंवाए ऑपरेशन के लिए तैयारी कर ली।
ऐसे हुआ ऑपरेशन
यह ऑपरेशन अन्य हाइडेटिड सिस्ट के ऑपरेशन से अलग था। इसके ऑपरेशन करते समय तक यह पता नहीं था कि यह हृदय (मेडियस्टाइनम) का कैंसर न होकर हाइडेटिड सिस्ट है।
बायें मुख्य सांस नली को उसकी चपेट में ले रखा था एवं जरा भी चूक होने पर मरीज की जान जा सकती थी। इस ऑपरेशन के लिए हार्ट लंग मशीन को भी तैयार रखा गया था।
इस गांठ का आकार 10 सेमी था।
इस प्रकार की बीमारी से बचा जा सकता है
यदि गली के कुत्ते से दूरी बनाये व सही समय पर कृमिनाशक दवाई का उपयोग करें या फिर समय= समय पर घर वाले कृमिनाशक दवाइयों का उपयोग करें। अभी अभी हमारे प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कृमिनाशक सप्ताह मनाया गया था। कृमि से न केवल खून की कमी एवं कमजोरी होती है बल्कि कृमि से इस प्रकार का हाइडेटिड सिस्ट भी होता है जो जानलेवा होता है।


