रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 26 दिसंबर। तीन और निजी विश्वविद्यालयों नर्सिंग-पैरा मेडिकल पाठयक्रम संचालित करने की अनुमति के लिए आवेदन लगाया है। उधर भारती विश्वविद्यालय ने उसे दी गई अनुमति रद्द किए जाने पर हाईकमान से स्टे ले लिया है। इसे लेकर उच्चशिक्षा विभाग, नियामक आयोग चिकित्सा शिक्षा विभाग,कृषि विभाग और कुलाधिपति कार्यालय के बीच शीत युद्ध जारी है। कुलाधिपति और सचिवालय के उच्चस्तरीय दबाव के बाद उच्चशिक्षा, कृषि विभाग ने भारती विश्वविद्याालय को कृषि पैरामेडिकल कोर्स चलाने की अनुमति दी थी। इसे लेकर हो रहे विवादों के बाद उच्चशिक्षा विभाग ने मान्यता कैंसिल करने की तैयारी की थी कि इसकी भनक लगते ही भारती विवि प्रबंधन ने हाई कोर्ट से स्टे ले लिया। और अब तीन अन्यविवि भी दन पाठयक्रमों की मान्यता के लिए जोर आजमाइश कर रहें हैं। इनमें श्री रावतपुरा सरकार विवि धनेली, आईएसबीएम विवि छुरा गरियाबंदऔर राजधानी के ही एक विवि ने राज्य शासन को आवेदन दिया है। ये लोग बीएससी-एमएससी नर्सिंग,फिजियोंथेरेपी ,बीएससी अप्टोमेट्री रिनल डायलिसिस टेक्रालाजी,लैब अटेंडर आप्थलमोलाजी जैसे पाठयक्रम शुरू करना चाहते है। भारती विवि को उच्चशिक्षा विभाग व आयुष विवि ने आपत्ति की है।
उनका कहना है कि यह मरीजों के हित मे नहीं होगा ये पाठयक्रम सरकारी विवि या कॉलेज ही संचालित करें। उच्च शिक्षा विभाग, मान्यता अधिकारी को ओव्हर रेंक कर रहा है। उच्च शिक्षा विभाग, उच्च स्तरीय दबाव के आगे नतमस्तक है। यह सरकार के हर बड़े दफ्तर से हो रहा है। एक विवि के प्रबंधन का कहना है। कि सं विधान प्रमुख उनके शिष्य हैं। उन्होंने अनुशंसा कर दी है। मंत्रालय ने पैरा मेडिकल -एग्रीकल्चर कोर्सेस के लिए विकित्सा -कृषि विभागों से एनओसी लेने कह दिया है। ऐसी व्यवस्था मध्यप्रदेश में भी है इसकी फाइलें घूम रही है। सूत्रों का कहना है कि निजी विवि इन पाठयक्रमों से होन वाली आय को देखते हुए अनुमति के लिए दबाव बनाए हुए हैं। चिकित्सा मंत्री तो एक्ट में संशोधन की बात कह दी है। अनुमति का अधिकार चिकित्सा शिक्षा विभाग को दिए जाने का प्रावधान होगा।
आयोग के सदस्य सचिव की वापसी
इस बीच निजी विवि नियमक आयोग की सदस्य सचिव मनीषा शुक्ला को वापस मूल विभाग भेज दिया गया है। इनके स्थान पर रविवि के पूर्व कुलसचिव केके चंद्राकर को संविदा नियुक्ति दी गईहै। इस बदलाव के पीछे भी उक्त विवाद को कारण बताया गयाहै। हालांकि ऐसा नहीं है। डॉ शुक्ला का तीन वर्ष की प्रतिनियुक् िखत्म होने की वजह से मूल विभाग वापस भेजने की जानकारी दी गयी है। आयोग में सारे अधिकार अध्यक्ष,सदस्य को होते है। सचिव केवल प्रस्तुतिकरण अधिकारी होता है। केके चंद्राकर के आवेदन पर यह नियुक्ति दी गई है।


