रायपुर
राजभवन में मंथन जारी ब्राह्मण, राजपूत,अग्रवाल समाज ने भी आरक्षण मांगा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर,14 दिसंबर। आरक्षण संबंधी विधेयक पर राज्यपाल की मंशा पर महिला बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिय़ा ने प्रश्न उठाया है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्यपाल साइन क्यों नहीं कर रही जनता समझ रही है। राज्यपाल उइके दबाव होने की वजह से साइन नहीं कर रहीं। साइन नहीं होने पर हम आगे की रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं। सभी वर्गों के लोग जल्द राज्यपाल से मिलेंगे। इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, सीएम भूपेश बघेल ने भी राजभवन पर शंका जता चुके हैं। इस पर पलटवार करते हुए पिछले दिनों धमतरी में कह दिया था कि आंख बंद करके विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करूंगी। इससे यह समझा जा रहा है कि वह मंथन में और समय लेंगी।
उधर अनुसुइया उईके का विधि अधिकारियों के साथ दूसरे सप्ताह के आज तीसरे दिन भी चर्चा का शेड्यूल है। उन्होंने आज के अपने सार्वजनिक कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। इस बीच आदिवासी आरक्षण बढ़ाने और ओबीसी में कमी के विरोध के साथ ब्राह्मण, राजपूत क्षत्रिय समाज और अग्रवाल समुदायों ने भी आरक्षण की मांग बुलंद कर दी है। इसे लेकर इनके प्रतिनिधि मंडलों ने सुश्री उइके से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा।
छत्तीसगढ़ प्रांतीय अखंड ब्राह्मण समाज ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी रखने की मांग की है। उन्होंने, राज्यपाल से कहा कि सामान्य वर्ग के आरक्षण हितग्राहियों की गणना के लिए बनाए गए क्वांटिफायबल डाटा आयोग के आंकड़े सिर्फ हवा-हवाई बताया है। छत्तीसगढ़ अग्रवाल संघ के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को राज्यपाल से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपकर आरक्षण की सीमा 50 फीसदी रखने की मांग की। जबकि राजपूत क्षत्रिय महासभा के प्रतिनिधियों ने भी राज्यपाल को ज्ञापन देकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक आरक्षण की सीमा 50 फीसदी रखने की बात कही।
पिछड़ा वर्ग ने दिया राष्ट्रपति, पीएम के नाम ज्ञापन
पिछड़ा वर्ग कल्याण संघ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौपा है। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार ने एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के आरक्षण के लिए विधेयक पारित कर राज्यपाल के पास भेजा है। जो कि राज्यपाल के पास लंबित है। राज्यपाल ने सिर्फ आदिवासियों के आरक्षण के लिए सत्र बुलाने का सार्वजनिक बयान दिया है। जबकि साहू समाज और कुर्मी महासभा ने ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण को न्यायसंगत बताया है।


