रायपुर

यूनियन बैंक का खजांची ने सात महीने बाद किया सरेंडर, रिमांड पर लेकर पुलिस करेगी पूछताछ
13-Oct-2022 4:48 PM
यूनियन बैंक का खजांची ने सात महीने बाद किया सरेंडर, रिमांड पर लेकर पुलिस करेगी पूछताछ

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 13 अक्टूबर।
यूनियन बैंक में करोड़ो रूपये की  घपलेबाजी करने वाला  प्रधान खजांची करीब सात महीने बाद बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया है। इस घोटाले की वजह से बैंक प्रबंधन ने 5-6 कर्मचारियों को निलंबित करते हुए कुछ की ग्रेच्युटी, पेंशन को रोका हुआ है।

यूनियन बैक प्रियदर्शनीनगर के शाखा प्रबंधक सरोज टोप्पो ने राजेंद्र नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। 21 अप्रैल 2022 को  बैंक द्वारा करेन्सी चेस्ट प्रेषण के लिये भेजने हेतु नगदी रकम की गिनती की गई तो ज्ञात हुआ कि बैंक के करेंसी चेस्ट में राशि 5,59,68,259/-रूपये कम है। जिसकी जांच हेतु बैंक के अधिकृत अधिकारी को नियुक्त किया गया जिसने बताया कि बैंक में प्रधान खजांची एवं क्लर्क के पद पर पदस्थ किशन बघेल के द्वारा कपटपूर्वक अपने तथा अपने रिश्तेदारों के बैंक खातों में अलग-अलग तिथियों में नगदी रकम स्थानांतरित किया गया है। जिस पर बैंक द्वारा पूछताछ हेतु किशन बघेल से संपर्क करने की कोशिश की गई किन्तु किशन बघेल कुछ दिनों से अनाधिकृत रूप से बैंक से अनुपस्थित है। इस प्रकार किशन बघेल द्वारा बैंक में करोड़ो रूपये की ठगी कर फरार हो गया है। जिस पर आरोपी किशन बघेल के विरूद्ध थाना न्यू राजेन्द्र नगर में अपराध क्रमांक 420, 409 भादवि. का अपराध पंजीबद्ध किया गया।

न्यू राजेन्द्र नगर पुलिस की टीम द्वारा घटना के संबंध में प्रार्थी सहित बैंक के अन्य कर्मचारियों से विस्तृत पूछताछ करते हुए आरोपी की पतासाजी करना प्रारंभ किया गया। टीम के सदस्यों द्वारा आरोपी के छिपने के हर संभावित ठिकानों में लगातार रेड कार्यवाही करते हुए प्रकरण में आरोपी किशन बघेल को गिरफ्तार करने के प्रयास किये जा रहे थे। इसी दौरान टीम के सदस्यों को प्रकरण में संलिप्त आरोपी के उपस्थिति के संबंध जानकारी प्राप्त हुई जिस पर घटना में संलिप्त आरोपी किशन बघेल गिरफ्तार किया गया है।

लॉकडाउन का पूरा फायदा उठाया किशन ने
इस गबन में किशन बघेल ने कोरोनाकाल में लाकडाउन के दिनों का पूरा फायदा उठाया। जब बैंक में आधे स्टॉफ के साथ काम होता था। उसी दौरान वह रकम निकालने लगा था। यह भी बताया गया कि इससे पहले दिसंबर-21 में यूनियन बैंक प्रबंधन ने अपने राजधानी स्थित सभी शाखाओं में कैश, कॉउटिंग करायी थी। इसमें चेस्ट, लॉकर्स में रखी रकम, जेवरात, सिक्के सभी की गणना की गई थी। इस गणना की रिकॉर्ड बैंक की हर शाखा और क्षेत्रीय कार्यालय के पास भी उपलब्ध है। चूंकि, कैश काउटिंग हो चुकी थी इसलिए गबन की अवधि भी माकूल थी। कोरोना के चलते सारा कामकाज ऑउट ऑफ मॉनिटर चल रहा था। उस दौरान शाखा प्रबंधन ने गंभीरता बरती होती तो यह फ्रॉड नहीं होता। सूत्रों के मुताबिक इस लापरवाही के लिए प्रियदर्शनी नगर के शाखा प्रबंधक शोएब और 5-6 सहकर्मियों को निलंबित किया गया था। इन्हें 6 माह के बाद 30 सितंबर के पहले बहाल भी कर दिया गया।

इतनी बड़ी रकम नहीं रखी जाती चेस्ट में
बैंक सूत्रों के मुताबिक किशन ने गबन के पीछे शाखा प्रबंधन की लापरवाही और नजरअंदाजी भी एक प्रमुख कारण रहा है। बताया जा रहा है कि प्रियदर्शनी नगर ब्रांच के चेस्ट में उतनी जगह ही नहीं थी कि इतनी बड़ी रकम रखी जा सके। साथ ही बैंक के चेस्ट का नियम भी है कि एट-ए-टाइम 10 लाख रूपए से अधिक नहीं रखा जा सकता है और इस शाखा में करोड़ों रूपए थे। शाखा के कर्मचारियों के बीच चर्चा है कि किशन, 2017 से रकम दबा रहा था। इसे ही बैक प्रबंधन नजर अंदाज करता गया और किशन का मनोबल बढ़ता गया।

दो महिला कर्मियों से भय था
सूत्रों ने बताया कि किशन बघेल, अपने ब्रांच के सभी कर्मियों को टेक इट फार ग्रांटेड की तरह लेता था, लेकिन वह, उस काल खंड में पदस्थ दो महिला कर्मियों से भय खाता था। ये महिलाएं एक साथ कड़ी रकम के डिपाजिट या विथड्राल पर पूरी सजगता से कार्य करती थी। सूत्रों का कहना है शाखा प्रबंधक भी उतनी ही गंभीरता बरतते तो यह गबन नहीं होता और वे स्वयं भी निलंबित न होते।

क्या कोई बड़ा है पर्दे के पीछे
यूनियन बैंक के हल्को में किशन बघेल को जानने वालों का कहना है कि किशन ऐसा कर सकता है यह विश्वास नहीं होता। क्योंकि वह ऐसी किसी फितरत नहीं था। इस पूरे मामले में पर्दे के पीछे नेक्सेस ह सकता है। यह भी चर्चा है कि सात महीने तक उसकी गिरफ्तारी न होने के पीछे भी इस गिरोहबंदी की भूमिका रही है। किशन, खुलासे के बाद कही नहीं भागा था। वह रायपुर में ही था, और कल उसने कोर्ट में सरेंडर किया।

 


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