रायपुर
किसी भी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष को भी नहीं मिली जगह
दर्जनभर दूसरे जिलों से आए, बैठक में उठ सकता है मुद्दा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 सितंबर। प्रदेश कांग्रेस के प्रतिनिधियों की सूची जारी होते ही शिकवा-शिकायतों का दौर शुरू हो गया है। बताया गया कि प्रदेश के 27 प्रकोष्ठों के किसी भी अध्यक्ष को प्रतिनिधि नहीं बनाया गया है। प्रतिनिधियों की सोमवार को होने वाली बैठक में मामला गरमा सकता है।
प्रदेश कांग्रेस के 310 प्रतिनिधियों की सूची जारी कर दी गई है। सूची में कई दिग्गजों के नाम गायब हैं। इनमें सरकार के मंत्री टीएस सिंहदेव, संसदीय सचिव विकास उपाध्याय, कुलदीप जुनेजा, पूर्व विधायक हर्षद मेहता, दीपक दुबे, किरणमयी नायक समेत कई नेताओं के नाम नहीं हैं।
सूची जारी होने के बाद से ही कई पार्टी नेताओं में नाराजगी देखने को मिली है। कहा जा रहा है कि कुछ ने प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, और प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम तक अपनी बात पहुंचाई है। यह भी बताया गया कि प्रदेश के 27 प्रकोष्ठों के किसी भी अध्यक्ष को प्रतिनिधि नहीं बनाया गया है। यही नहीं, कंट्रोल रूम, और प्रोटोकॉल से जुड़े नेता भी वंचित रह गए।
बड़ी संख्या में ऐसे भी नेता हैं, जो कि दूसरे जिलों में प्रतिनिधि बनने में कामयाब रहे। कुछ लोग इसके लिए डीआरओ और बीआरओ पर सवाल खड़े कर रहे हैं। कई डीआरओ के खिलाफ तो लेनदेन की मौखिक शिकायत भी हुई है।
स्थानीय जिले के नेता भी बाहरी नेताओं को प्रतिनिधि बनाने पर आपत्ति कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक पारस चोपड़ा बिलाईगढ़ से प्रतिनिधि बने हैं जबकि वो रायपुर के रहने वाले हैं। इसी तरह पीयूष कोसरे पलारी, मुस्कान देशमुख गरियाबंद, महमूद अली देवभोग, पंकज मिश्रा पिथौरा, पप्पू बंजारे बागबाहरा शहर, राजेश चौबे बागबाहरा ग्रामीण, राजीव वोरा गुंडरदेही, शिव सिंह ठाकुर वैशालीनगर, सुबोध हरितवाल डोंगरगढ़, सकलैन कामदार तखतपुर, सूर्यकांत तिवारी रायगढ़ से प्रदेश प्रतिनिधि बनाए गए हैं। इसी तरह रायपुर के रहवासी सद्दाम सोलंकी चिरमिरी, इरफान मनेन्द्रगढ़, और विकास बजाज मरवाही से प्रदेश प्रतिनिधि बनाए गए हैं।
बताया गया कि 18 तारीख को प्रदेश प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई गई है। इसमें पीआरओ हुसैन दलवई, प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, और सीएम भूपेश बघेल भी मौजूद रहेंगे। कहा जा रहा है कि इन नियुक्तियों पर कई नेता बैठक में अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि बैठक में सर्वसम्मिति से प्रस्ताव पारित कर हाईकमान को नए नाम जोडऩे के अधिकार दिए जा सकते हैं। इससे छूटे गए नामों को जोड़ा जा सकता है। बहरहाल, बैठक के हंगामेदार होने के आसार भी दिख रहे हैं।