रायपुर

टीम अरूण में कई दिग्गज किनारे, युवाओं पर दांव
12-Sep-2022 6:48 PM
टीम अरूण में कई दिग्गज किनारे, युवाओं पर दांव

नरेश गुप्ता कार्यालय प्रभारी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 12 सितंबर। प्रदेश भाजपा में बड़े बदलाव किए गए हैं। कई सीनियर नेताओं की जगह नए को लाया गया है। यही नहीं, पार्टी के प्रभावशाली नेताओं की शिकायतों को भी दूर करने की कोशिश की गई है। अरूण साव की इस टीम में क्षेत्रीय, और जाति संतुलन का भी ध्यान रखा गया है। हालांकि पार्टी के अंदरूनी वाट्सएप ग्रुप में विरोध की टिप्पणियां होने लगी है।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा रायपुर में ही हैं। इसी बीच प्रदेश पदाधिकारियों की सूची जारी कर दी गई। प्रदेश भाजपा पदाधिकारियों की सूची में कई बदलाव देखने को मिला है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल को कोषाध्यक्ष के दायित्व से मुक्त कर दिया गया है। उन्हें अन्य दूसरे पद पर नहीं रखा गया है। पार्टी का कोष नंदन जैन संभालेंगे। वो अप्रत्यक्ष तौर पर पहले भी काम देख रहे थे।

इसी तरह मोतीलाल साहू, लता उसेंडी, सुभाष राव, सच्चिदानंद उपासने जैसे दिग्गजों को भी किनारे किया गया है। अरूण साव के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से क्षेत्रीय, और जाति संतुलन बनाने की दिशा में कोशिश की जा रही थी। सूची में कुछ हद तक इसका ध्यान भी रखा गया। विष्णुदेव साय की कार्यकारिणी में नारायण चंदेल, भूपेन्द्र सवन्नी, और किरण देव महामंत्री थे।

भूपेन्द्र सवन्नी के खिलाफ काफी शिकायतें थी। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर तो खुले तौर पर सवन्नी पर नाराजगी जता चुके थे। सवन्नी रायपुर संभाग के प्रभारी थे। इन शिकायतों को गंभीरता से लिया गया।  उन्हें महामंत्री की जगह उपाध्यक्ष बनाया गया। साथ ही रायपुर संभाग के प्रभार से हटाकर दुर्ग संभाग का दायित्व सौंपा गया। चर्चा है कि सवन्नी को पदाधिकारी न बनाने के लिए कई नेताओं का दबाव था, लेकिन कहा जा रहा है कि अंतिम समय में पवन साय की दखल के चलते उन्हें उपाध्यक्ष पद दिया गया।

महामंत्री केदार कश्यप, विजय शर्मा, और ओपी चौधरी को लेकर भी अलग-अलग राय रही है। कश्यप को अहम जिम्मेदारी मिलने के संकेत तो पहले से ही थे। नड्डा के कार्यक्रम के संचालन की जिम्मेदारी अंतिम समय में उन्हें दी गई थी। इसी तरह ओपी चौधरी ने पिछले दिनों अमित शाह के कार्यक्रम का संचालन किया था। विजय शर्मा कवर्धा में साम्प्रदायिक झगड़े के बाद जिस तरह उभरकर सामने आए, उससे वो  आरएसएस के पसंदीदा हो गए थे। यही वजह है कि उन्हें महामंत्री की अहम जिम्मेदारी दी गई।

इसी तरह उपाध्यक्ष पद से राजनांदगांव के नेता खूबचंद पारख की छुट्टी की गई। पारख, पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के करीबी माने जाते हैं, और पिछले कई सालों से अहम पदों पर रहे हैं। कहा जा रहा है कि बुजुर्ग होने की वजह से उन्हें पदाधिकारी नहीं बनाया गया। इससे परे नए प्रदेश कार्यालय प्रभारी नरेश गुप्ता समर्पित कार्यकर्ता माने जाते हैं। यही वजह है कि उन्हें कार्यालय की जिम्मेदारी दी गई है। खास बात यह है कि अरूण साव, और नरेश गुप्ता दोनों ही मुंगेली के रहवासी हैं।

मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी वैसे तो सीए हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से वो टीवी चैनलों में पार्टी का पक्ष रखते रहे हैं। अलबत्ता, सह मीडिया प्रभारी अनुराग अग्रवाल बरसों से मीडिया का काम देख रहे थे। वो पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के करीबी माने जाते हैं। महेश जैन, ओजस्वी मंडावी, और किशोर महानंद प्रदेश मंत्री के रूप में नए चेहरे हैं। महेश कांकेर के हैं, और वो कलार समाज से आते हैं। ओजस्वी दिवंगत पूर्व विधायक भीमा मंडावी की पत्नी है। किशोर वैसे तो बृजमोहन खेमे के माने जाते हैं, लेकिन जब जेपी नड्डा प्रदेश प्रभारी थे, तब उनके सत्कार का जिम्मा किशोर महानंद को ही दिया गया था। ज्यादातर जिलों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। मोर्चा प्रकोष्ठ में अमित साहू का बदलाव तय था। उनकी जगह रवि भगत को युवा मोर्चा की कमान सौंपी गई है। भगत वनवासी कल्याण आश्रम से आए हैं। किसान मोर्चा के अध्यक्ष को भी बदला गया है। जबकि महिला मोर्चा शालिनी राजपूत यथावत रखा गया है।

संघ को विश्वास में नहीं ले रही भाजपा...

सीएम भूपेश बघेल ने भाजपा की इस नई कार्रकारिणी पर कहा कि भाजपा, आरएसएस को विश्वास में लिए बगैर फैसले कर रही है। इससे आरएसएस और भाजपा में दरार बढ़ गई है। रायपुर में समन्वय समिति की बैठक इसी लिए रखी गई है। डी पुरंदेश्वरी को बैठक लेते-लेते हटा दिया गया। 15 राज्यों के प्रभारी बदल दिए जाते हैं, और आरएसएस को बताते नहीं है। इसलिए डॉ. मोहन भागवत ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को तलब किया है।

नाराजगी भी...

दिवंगत पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिलीप सिंह जूदेव के समर्थकों को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। उनके पुत्र प्रबल प्रताप सिंह को प्रदेश मंत्री बनाया गया है। जबकि उनके समर्थक चाहते थे कि प्रबल प्रताप को महामंत्री का दायित्व सौंपा जाए। इसी तरह पूर्व राज्यसभा सदस्य रणविजय सिंह को भी जगह नहीं मिली है।

नए जिलाध्यक्ष भी...

अपनी कार्यकारिणी बनाने के बाद अरूण साव जल्द ही जिलाध्यक्ष भी बदलने जा रहे हैं। संकेत हैं कि कम से कम 15 जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे। इनमें बस्तर से लेकर सरगुजा तक नई नियुक्तियां होंगी।

 


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