रायपुर

मुक्तिबोध में जो भोगा-जीया उसे ही लिखा
11-Sep-2022 6:29 PM
 मुक्तिबोध में जो भोगा-जीया उसे ही लिखा

पुण्यतिथि पर याद किए गए गजानन माधव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 10 सितंबर। भारत के युगांतकारी साहित्यकार गजानन माधव मुक्तिबोध की 58वीं पुण्यतिथि पर  रविवार को  मुक्तिबोध परिवार और साहित्य अकादमी ने मिलकर एक स्मृति व्याख्यान आयोजित किया है। इसमें प्रमुख वक्ताओं ने मुक्तिबोध के जीवन संघर्ष, और लेखनी का उल्लेख किया। कार्यक्रम महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय के सभागार में आयोजित था।

इसमें युवा आलोचक एवं दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर विनोद तिवारीमुक्तिबोध साहित्य का जीवन-विवेक विषय पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक व विचारक जयप्रकाश ने की। वक्तव्य के पहले युवा गायक व संगीतकार वसु गंधर्व और अजुल्का सक्सेना मुक्तिबोध की कविताओं की प्रस्तुति दी। वक्ताओं का कहना था कि मुक्तिबोध ने अपने साहित्य के माध्यम से जीवन दृष्टि दी। उनका जीवन स्वयं के अंतरद्वंद और संघर्ष से भरा था। उन्होंने जो कुछ भोगा और जीया उसे ही साहित्य में पिरोया। कहीं से भी बनावटीपन नहीं था। सच को सच लिखा। उनकी लेखनी की प्रासंगिकता आज इसलिए अधिक है क्योंकि वर्तमान समय और कठिन हो गया है। उनका लेखन अंधेरे में रौशन दिखाने जैसा है।


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