रायपुर

निगम-मंडल,विश्वविद्यालयों से एफडी मांगा सरकार ने
30-Aug-2022 8:08 PM
निगम-मंडल,विश्वविद्यालयों से एफडी मांगा सरकार ने

सरकार से ग्रांट लेकर जनहित में खर्च न कर ब्याज खा रहे हैं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 30 अगस्त। राज्य सरकार से करोड़ों का अनुदान(ग्रांट) लेकर उसे जनहित में खर्च न करने वाले निगम-मंडल-आयोगों और विश्वविद्यालयों की खैर नहीं। सीएम भूपेश बघेल ने इन सबसे पांच दिनों के भीतर अपने-अपने डिपाजिट की जानकारी मांगी है। 24 अगस्त को सीएम एवं वित्त मंत्री भूपेश बघेल ने मुख्य सचिव अमिताभ जैन, वित्त सचिव डी अलरमेलमंगई के साथ राज्य की वितीय स्थ्तिि को लेकर बैठक की। इसमें राज्य का राजस्व बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा हुई। यह बैठक इसलिए भी अहम मानी जा रही है कि 30 जून के बाद यानी बीते दो महीने से केंद्र सरकार ने जीएसटी क्षतीपूर्ति देना बंद कर दिया है। ऐसे में छत्तीसगढ़ जैसे गैर उत्पादक राज्यों को आर्थिक संकट में राजस्व बढ़ाने के नित नए उपाए करने जाने होंगे। इस बैठक में हुई चर्चा के बाद वित्त सचिव ने प्रदेश के सभी स्वायत्तशयी निकायों, निगम-मंडल, आयोंगों, प्राधिकरणों, अभिकरण, सहकारी, संघ, कल्याण मंडल, परिषद,फेडरेशन काउंसिल एवं अकादमियों से बैंकखातों  और उनमें जमा राशि की जानकारी मांगी है।  सरकार का मानना है कि ये संस्थाएं सरकार से अनुदान-ग्रांट के रूप में एक बड़ी राशि ले लेती हैं लेकिन उसे जनहित या हितग्राही मूलक योजनाओं में खर्च नहीं करती। उल्टे राशि को बैंको में रखकर उस पर मिलने वाले ब्याज का अन्यान्य उपयोग करते हैं। इससे  करोड़ों रूपए का फंड ब्लॉक रहता है। कुछ ऐसा ही प्रदेश के स्वायत्तशासी शासकीय विश्वविद्यालयों का भी है। विवि व्यवसायिक पाठयक्रमों और एग्जाम फोस के नाम पर करोड़ों की आमदनी हासिल करते हैं। साथ ही सरकार से भी करोड़ों का अनुदान ले लेते हैं। यह पूरी राशि बैंको में जमा रहती है। सूत्रों ने बताया कि होक विश्वविद्यालय के पास 50-60 करोड़ रूपए जमा होंगे। ऐसे ही भवन सन्निर्माण कर्मकार मंडल, विकास प्राधिकरण के खातों में भी बड़ी राशि जमा है। सरकार पूरी जानकारी लेकर उक्त राशि का अंतरण कराकर स्वं उपयोग कर सकती है। आने वाले दिनों में धान समेत कई अन्य फसलों की खरीदी शुरू होनी है।

सरकार का खजाना मजबूत है

वित्त विभाग में बजट से जुड़े सूत्रों के अनुसार राज्य की वित्तीय स्थिति मजबूत है,बावजूद इसके कि केंद्र ने जीएसटी क्षतिपूर्ति देना बंद कर दिया है। खजाने में राज्य जीएसटी की राशि बराबर मिल रही है। साथ ही अप्रैल से हर माह केंद्र से भी 17-18 करोड़ रूपए मिल जाते हैं। यही वजह है कि वित्त वर्ष के 5 महीने बाद भी राज्य ने अपनी प्रतिभूतियों के एवज में बाजार से कर्ज लिया है। जबकी पड़ोस के कई राज्यों ने 3000 करोड़ का कर्ज ले लिया है। वैसे,छत्तीसगढ़ पर करीब 53 हजार करोड़ का कर्ज है।


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