रायगढ़

भूमि अधिग्रहण में फंसी जमीन से बढ़ी किसानों की परेशानी
12-Nov-2025 6:10 PM
भूमि अधिग्रहण में फंसी जमीन से बढ़ी किसानों की परेशानी

धान खरीदी से पहले संकट गहराया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायगढ़, 12 नवंबर। रायगढ़ जिले के डोलसरा के किसानों की परेशानियां एक बार फिर बढ़ गई हैं। वर्ष 2012 में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में अटकी जमीन का मामला अब गंभीर रूप ले चुका है। किसानों का कहना है कि न तो जमीन का नामांतरण हो पाया है और न ही रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी हो सकी है। यही नहीं, अब तो भूमि का बी-वन (बी1) और खसरा प्रतिलिपि भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है, जिससे किसान प्रशासनिक उलझनों में फंस गए हैं।

15 नवंबर से धान खरीदी अभियान शुरू होने जा रहा है, लेकिन जिन किसानों की जमीनों का नामांतरण और पंजीयन नहीं हुआ है, वे अपनी फसल बेचने से वंचित रह जाएंगे। किसानों ने बताया कि वर्ष 2012 में जिंदल कंपनी के द्वारा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जमीन आज भी किसानों के कब्जे में है, मगर दस्तावेजों में उनका नाम हटा दिया गया है।

किसानों का कहना है कि इस कारण वे न तो बी-वन प्रतिलिपि निकाल पा रहे हैं, न ही खसरा नंबर प्राप्त हो रहा है, और ना ही किसी प्रकार का भूमि पंजीयन संभव हो पा रहा है। अब स्थिति यह है कि बिना पंजीयन के किसान अपनी धान की उपज सरकारी खरीदी केंद्रों में नहीं बेच पाएंगे, जिससे उनका आर्थिक नुकसान होना तय है।

किसानों ने इस समस्या को लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर अपनी व्यथा सुनाई। उन्होंने बताया कि लगातार अधिकारियों से गुहार लगाने के बावजूद वर्षों से मामला लटका हुआ है। किसानों की मुख्य मांग है कि या तो अधिग्रहण की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाए या फिर भूमि का स्वामित्व पुन: किसानों को वापस दिया जाए।

इस मुद्दे पर प्रशासन ने किसानों को आश्वासन दिया है कि समस्या का शीघ्र समाधान किया जाएगा। कलेक्टर ने संबंधित विभागों को रिपोर्ट तलब की है और भूमि अभिलेखों की जांच के निर्देश दिए हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि इस लंबे विवाद के कारण न केवल खेती-बाड़ी प्रभावित हो रही है, बल्कि किसानों को बैंक ऋण, बीमा और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में भी परेशानी आ रही है। फिलहाल किसान उम्मीद लगाए बैठे हैं कि प्रशासन अब जल्द ठोस निर्णय लेकर उन्हें राहत प्रदान करेगा।


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