रायगढ़
तीन मौतों ने खड़े किए सवाल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़. , 5 अक्टूबर। विजयादशमी की रात जब पूरा क्षेत्र रावण दहन और उत्सव की खुशी में डूबा था, तभी धरमजयगढ़ विकासखण्ड के खम्हार और मिरिगुड़ा मार्ग पर हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया।
दरअसल खम्हार गाँव के दो युवक आशीष राठिया और सरोज सवरा दशहरा देखने घर से निकले थे, परंतु मिरिगुड़ा के पास खड़ी एक वाहन से उनकी मोटरसाइकिल टकरा गई और दोनों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। घटना स्थल पर पहुँची 108 संजीवनी एक्सप्रेस में दोनों शवों के साथ मृतकों का साथी नरेश कुमार राठिया अटेंडर के रूप में बैठा। किंतु जब वाहन अस्पताल पहुँचा, तो उसमें केवल दो शव थे। नरेश का कोई पता नहीं था। आश्चर्यजनक रूप से करीब बीस मिनट बाद नरेश कुमार घायल अवस्था में 112 की टीम द्वारा अस्पताल लाया गया, जहाँ उपचार के दौरान उसकी भी मौत हो गई। अब इस मामले ने तूल पकड़ लिया है।
ग्रामीणों का सवाल है कि एक जीवित और स्वस्थ युवक 108 वाहन में बैठकर अस्पताल के लिए रवाना होता है और रास्ते में गंभीर रूप से घायल मिल जाता है आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? 108 वाहन चालक का बयान है कि नरेश को वाहन में बैठाया गया था, पर वह कब और कैसे उतरा, यह हमें नहीं पता। वहीं 112 टीम के एएसआई एस.के. वर्मा का कहना है कि नरेश उन्हें भंवरखोल के पास सडक़ किनारे घायल अवस्था में मिला। इन विरोधाभासी बयानों ने ग्रामीणों में गहरी नाराजगी और अविश्वास पैदा कर दिया है। सैकड़ों की संख्या में लोग धरमजयगढ़ मुख्यालय पहुँचकर नरेश राठिया के शव को सडक़ में रखकर आंदोलन पर उतर आयें हैं और निष्पक्ष जांच और न्याय की माँग कर रहे हैं। दशहरा की रात का यह हादसा अब सडक़ दुर्घटना से आगे बढक़र रहस्य और प्रशासनिक जवाबदेही पर बड़ा सवाल बन गया है। यह देखना बाकी है कि आने वाले दिनों में प्रशासनिक दृष्टि और पुलिस की कार्रवाई किस करवट बैठती है।


