रायगढ़

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 3 जुलाई। आदिवासी गर्भवती को प्रसव के लिए पैदल ले जाते समय बहती नदी को पार कराने के लिए मितानिन ने अपनी पीठ पर लादकर पार कराया और उसके बाद सडक़ किनारे महिला ने बच्चे को जन्म दिया।
यह नजारा जशपुर जिले के मनोरा तहसील के सतालूटोली गांव की है। जहां एक गर्भवती आदिवासी महिला मंजीता बाई को संस्थागत प्रसव के लिए मितानिन बिफनी बाई और दाई रेलों बाई मंगलवार की सुबह 8 बजे लेकर निकलीं, लेकिन गांव को मुख्य सडक़ से जोडऩे वाला पुल टूटा हुआ है और पक्की सडक़ का नामोनिशान नहीं, रास्ते में मोबाइल नेटवर्क भी नहीं चलता और ऊपर से बारिश के कारण नदी में पानी का बहाव तेज है।
यहां के हालात इतने खराब है कि महिला को पीठ पर लादकर नदी पार करानी पड़ी। नदी पार करने के बाद जैसे ही सडक़ किनारे पहुंचे, प्रसव पीड़ा तेज हो गई। गांव के ही ललित यादव के घर के सामने सडक़ किनारे मितानिन, दाई और मंजीता की मां ने मिलकर वहीं डिलीवरी कराई। इसके बाद नवजात शिशु और जच्चा को लाठी के सहारे अस्पताल तक ले जाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि पुल टूटे एक अरसा हो गया है। जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन समाधान नहीं मिला।
बुनियादी सुविधाएं नहीं
स्थानीय युवक ने बताया कि उनके गांव से अस्पताल महज डेढ़ किलोमीटर दूर है, लेकिन टूटी सडक़ और टूटे पुल ने इस डेढ़ किलोमीटर को जानलेवा बना दिया है। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, शिक्षक नहीं आ पाते और गांव बारिश के दिनों में जिला मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह से टूट जाता है।