रायगढ़

श्रीराम ट्रांसपोर्ट फायनेंस कंपनी रायगढ़ का चेक बाउंस का मामला खारिज
10-Jun-2025 3:23 PM
श्रीराम ट्रांसपोर्ट फायनेंस कंपनी रायगढ़ का चेक बाउंस का मामला खारिज

न्यायालय के निर्णय से फायनेंस कंपनी को तगड़ा झटका 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायगढ़, 10 जून। फायनेंस कंपनियॉ मोटर गाड़ी फायनेंस करते समय अपनी शर्तों पर ऋण अनुबंध पर हस्ताक्षर करवाते समय 04 कोरा चेक लेकर रख लेती हैं। मासिक ईएमआई अदायगी में चूक होने पर कानून की प्रक्रिया को ठेंगा दिखाते हुए उनके  ऐजेन्ट अवैध रूप से वाहन छीन कर ले जा लेते हैं। 

परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 का सहारा लेकर फायनेंस कंपनी को लाखों का वाहन मिल जाता हैं और ग्राहक ऋणी के हिस्से में बेरोजगारी, मुकदमें और परेशानियां आ जाती हैं। कानून एवं न्याय का सवाल यह हैं कि ग्राहक से लाखों रूपए का वाहन छीन लेने के बाद भी फायनेंस कंपनी का पैसा बकाया कैसे रह जाता हैं?

न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी, रायगढ़, पीठासीन अधिकारी प्रवीण मिश्रा की अदालत में श्रीराम ट्रांसपोर्ट फायनेंस कंपनी शाखा रायगढ़ की ओर से कंपनी के शाखा प्रबंधक  द्वारा क्रमश: 06.95लाख एवं 11.34 लाख रूपए का चेक अनादरण का दो परिवाद पत्र धारा 138 परक्राम्य लिखत अधिनियम 188 के अंतर्गत  पेश किया गया था।

 

न्यायालय में परिवादी फायनेंस कंपनी अपना परिवाद पत्र संदेह से परे प्रमाणित करने में विफल रही। आरोपी का बचाव यह था कि  मॉंग सूचना पत्र प्राप्त नहीं हुआ हैं। चूंकि यह अधिनियम दस्तावेज आधारित टेक्निकल लॉ से संबंधित है, परिवादी कंपनी ऐसा कोई भी दस्तावेज न्यायालय में पेश करने में विफल रही जो परिवाद कथा को समर्थन करती हो। आरोपी के अधिवक्ता एस . के . घोष बताते हैं कि परिवाद पत्र में अनेक तकनीकि खामियॉ मौजूद थी। परिवादी ने लेन देन का संपूर्ण इतिहास परिवाद पत्र में प्रकट नहीं किया था। परिवाद पत्र में वाहन का मूल्य, फायनेंस की गई धनराशि, मासिक ईएमआई, ग्राहक द्वारा अदा की गई कुल मासिक ईएमआई तथा शेष बकाया धनराशि का वर्णन नहीं किया गया था। इसके अतिरिक्त श्रीराम ट्रांसपोर्ट फायनेंस कंपनी ने प्रबंधक  को किस तरह से यह परिवाद पत्र न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए अधिकृत किया गया था इस संबंध में कंपनी का कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया था। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद परिवादी श्रीराम ट्रांसपोर्ट फायनेंस कंपनी का दो दो परिवाद पत्र क्रं  90 2014 एवं 229 2014 को अंतर्गत धारा 138 प. लि. अ. खारिज करते हुए आरोपी सौरभ अग्रवाल को  9 जून को दोषमुक्त कर दिया।


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