महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,15 अक्टूबर। किसानों की मांग को देखते हुए सहकारी बैंक ने जिले में 4 नए धान खरीदी केंद्र खोलने का प्रस्ताव भेजा है। यदि इस प्रस्ताव पर मुहर लगती है तो इसी सत्र से नांदगांव, कौंदकेरा, पतेरापाली तथा पिथौरा के गोड़बहाल में नये धान खरीदी केंद्र खुल जाएंगे। इससे किसानों को दूर दराज के केंद्रों में धान नहीं बेचना पड़ेगा तथा उन्हें समीप के ही खरीदी केंद्रों में सुविधा होगी।
मिली जानकारी के अनुसार महासमुंद ब्लॉक के लिए 3 तथा पिथौरा ब्लॉक के लिए 1 नए धान खरीदी केंद्र का प्रस्ताव भेजा गया है। इस बार 15 नवंबर से धान खरीदी शुरू होने वाली है। इस बार अक्टूबर माह में ही दीपावली पड़ रही है। 29, 30, 31 क्रमश: धनतेरस, नरक चौदस तथा दीपावली पड़ रही है। वहीं 1 नवंबर को ग्रामीण अंचलों में गोवर्धन पूजा, मातर आदि पर्व मनाया जाता है। इस दिन छत्तीसगढ़ राज्योत्सव की छुट्टी भी पड़ रही है। फिलहाल किसानों की फसल की कटाई को लेकर पखवाड़े से 1 माह के आसपास का समय लग सकता है।
धान खरीदी के लिए जानकारी मिली है कि खेतों के बीच कम से कम 100 वर्गफीट या उससे अधिक जमीन पर यदि निर्माण कराया जाता है तो उस रकबे में कटौती की जाएगी। ऐसे ही खेत में दस फीट चौड़ी सडक़ का निर्माण करने पर ही गिरदावरी में जमीन कटौती की जाएगी। खेतों में मेड़ वाले हिस्सों को भी रकबे में नहीं जोड़ा जाएगा, जितने इलाकों में फसल ली जाएगी, उनका ही गिरदावरी रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
हालांकि हरूना किस्म धान की कटाई कहीं-कहीं शुरू हो गई है। लेकिन अधिकांश किसान दीपावली के बाद ही कटाई में जुटेंगे। फलस्वरूप 15 नवंबर से धान खरीदी का फैसला शासन ने लिया है। इसलिए सहकारी बैंक ने खरीदी की गति बढ़ाने तथा किसानों की सुविधा को लेकर 4 नए केंद्रों का प्रस्ताव भेजा है। इस बार किसानों के पंजीयन की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर रखी है। पंजीयन प्रक्रिया समाप्त होने के तुरंत बाद ही एकीकृत किसान पोर्टल खरीदी के लिए तैयार हो जाएगा।
पिछली बार पहले जुलाई माह में ही प्रथम चरण में पंजीयन की प्रक्रिया शुरू की गई थी। कुल 1 लाख 58 हजार 739 किसानों का पंजीयन धान खरीदी के लिए हुआ था। इस बार भी किसानों की जमीन के रकबे में हुए परिवर्तन, नामांतरण, बंटवारा सहित अन्य मामलों को छोडक़र बाकी किसानों का पंजीयन केरी फ ारवर्ड किया जा चुका है। इस साल धान खरीदी को लेकर काफी सावधानी बरती जाएगी। किसानों ने कितनी जमीन में धान की फसल लगाई है। इसका सत्यापन गिरदावरी से किया जाएगा। खेतों का जितना हिस्सा बिक चुका है, पड़त है या धान के अतिरिक्त दूसरी फसल लगाई गई है, उतने हिस्से को काटकर किसानों से धान लिया जाएगा।