महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,10सितंबर। ग्रामीण व शहरी स्तर पर बड़े पैमाने पर दलाल सक्रिय होकर उगाही करने की शिकायत लेकर रोजाना राशन कार्ड निर्माण के अधिकृत पोर्टल पर की जा रही है। ऐसे ही कई मामले कलेक्टर के जनदर्शन में प्रति सोमवार पहुंच रहे हैं। पूर्व में राशन कार्ड बनाने के नियम को शिथिल किए जाने के बाद से ही राशन कार्ड को लेकर दलालों की सक्रियता बढ़ गई है। अब सुनने में आ रहा है कि कुछ जनप्रतिनिधि, पंचायत सचिव तथा डाटा एंट्री ऑपरेटर इसमें शामिल हैं। वर्तमान में जिले में कुल 3 लाख 33 हजार राशन कार्डधारी है। नई सरकार बनने के बाद नए सिरे से बीपीएल, एपीएल कार्ड में नाम जोडऩे-घटाने का काम तथा नया राशन कार्ड बनाने का काम चल रहा है। इन दिनों जिले में 3 से 5 हजार रुपए लेकर राशन कार्ड बनाने का काम जारी है। जिस किसी को भी राशन कार्ड में नाम जोडऩा-काटना या नया राशन कार्ड बनाना हो, वे स्थानीय जनपद, नगर निगम से जुड़े एजेंट से संपर्क कर रहे हैं। एजेंट प्रदेश स्तर पर बने वाट्सएप ग्रुप के स्थानीय सदस्य से संपर्क कर
इसकी जानकारी दे रहे हैं। बाद रुपयों के लेन-देन की बात पर्सनल कॉन्टेक्ट नंबर पर कर रहे हैं। इस ग्रुप में 10 एडमिन हैं जिसमें प्रदेश के कुल 934 सदस्य जुड़े हुए हैं।
जिले के अनेक च्वाइस सेंटर संचालक भी इसमें जुड़े हुए हैं। चौकाने वाली बात है कि यदि कोई खाद्य शाखा, जनपद, नगर पंचायत या पालिका में जाता है तो उसे राशन कार्ड बनाने के लिए आवेदन के साथ आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता परिचय पत्र, बैंक पासबुक की छाया प्रति जैसे महत्त्वपूर्ण दस्तावेज जमा करने होते हैं। लेकिन च्वाइस सेंटरों में बगैर आधार के भी राशनकार्ड बनने की शिकायतें विभाग को मिली है।
विभाग की मानें तो साल भर से यह काम जारी है। विभाग को समझ नहीं आ रहा है कि नगर पंचायत, जनपद पंचायत, नगर पालिका को मिला आईडी पासवर्ड आखिर लीक कैसे हो गया? पूर्व में इसी तरह के एक मामले में जिले के 2 जनपदों के ऑपरेटरों को सस्पेंड किया गया था। हालांकि ऑपरेटरों द्वारा माफी मांगने के बाद उन्हें वापस बहाल कर दिया गया था।
रोहिदास पारेश्वर एडीओ खाद्य विभाग महासमुंद के मुताबिक बड़े पैमाने पर अनाधिकृत व्यक्तियों द्वारा राशन कार्ड बनाए जाने की जानकारी मिली है। पूर्व में शिकायत के आधार पर 1-2 लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की गई थी। यदि व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर ऐसा गोरखधंधा चलाया जा रहा है, तो यह बहुत ही गंभीर विषय है। हो सकता है दफ्तर में आने वाले कुछ तत्व आईडी पासवर्ड लीक कर दिये हों। इस विषय पर उच्चाधिकारियों से चर्चा करता हूं। कार्रवाई की जाएगी।