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रेलवे जोन संघर्ष समिति ने मुआवजा राशि बढ़ाने की भी मांग की
बिलासपुर, 6 नवंबर। छात्र युवा नागरिक रेलवे जोन संघर्ष समिति ने गतौरा और बिलासपुर के बीच हुई हालिया रेल दुर्घटना को लेकर कहा कि रेलवे अब यात्री सुरक्षा और सुविधा की जगह कोयला लदान के रिकॉर्ड बनाने में जुटा है, और यही लापरवाही हादसों की मुख्य वजह बन रही है।
समिति के प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि रेलवे बोर्ड से अधिकारियों पर लगातार यह दबाव बनाया जा रहा है कि वे मालगाड़ी विशेषकर कोयला ढुलाई में अधिक से अधिक ट्रेनों को रवाना करें। इस दबाव के चलते यात्री गाड़ियों की सुरक्षा पूरी तरह से दांव पर लगी हुई है।
उन्होंने कहा कि क्षमता से डेढ़ गुना तक ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। पटरियां थक चुकी हैं, सिग्नल सिस्टम ओवरलोड है, और फिर भी ऑपरेटिंग विभाग लगातार गाड़ियों को एक के पीछे एक चलाने का जोखिम उठा रहा है। समिति के अनुसार, यह संवेदनहीन और खतरनाक नीति यात्रियों की जान से खिलवाड़ के समान है।
संघर्ष समिति की ओर से जारी एक बयान में सुदीप श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले दस वर्षों से रेलवे कवच टेक्नोलॉजी की बात तो कर रहा है, लेकिन इसे लागू करने में कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। जहां कवच सिस्टम लागू होना चाहिए था, वहां इसे टाल दिया गया। इसके कारण दो ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी और समय-सीमा का पालन नहीं हो पा रहा।
समिति का आरोप है कि ऑपरेटिंग विभाग के अधिकारी खतरे जानते हुए भी जोखिम उठाते हैं, ताकि माल ढुलाई के आंकड़े बेहतर दिखें और रिकॉर्ड बन सकें।
छात्र युवा नागरिक रेलवे जोन संघर्ष समिति ने इस हादसे की जिम्मेदारी दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के ऑपरेटिंग विभाग के अधिकारियों पर तय करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस गंभीर लापरवाही के लिए गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाह नीतियों पर अंकुश लग सके।
समिति ने रेल मंत्रालय द्वारा मृतकों के लिए घोषित 10 लाख रुपये मुआवजे पर भी सवाल उठाया है। उनका कहना है कि यह दर वर्ष पुरानी है और मौजूदा परिस्थितियों में यह राशि अत्यंत अपर्याप्त है।
उन्होंने मांग की कि मुआवजे की राशि को कम से कम 50 लाख रुपये प्रति मृतक यात्री और 10 लाख रुपये प्रति गंभीर घायल तक बढ़ाया जाए।
समिति ने कहा कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे देश के सबसे अधिक आय देने वाले जोनों में से एक है, लेकिन यहां नागरिकों की जान की कोई कीमत नहीं समझी जाती। उन्होंने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से आग्रह किया कि कोयला लदान के बजाय यात्री सुरक्षा, रेल ट्रैक की स्थिति, और आधुनिक सिग्नलिंग व्यवस्था पर प्राथमिकता दी जाए।


