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विवाहित बेटी की अनुकंपा नियुक्ति की अपील खारिज, हाई कोर्ट ने कहा– 11 साल बाद दावा करने का कोई औचित्य नहीं
28-Oct-2025 11:50 AM
विवाहित बेटी की अनुकंपा नियुक्ति की अपील खारिज, हाई कोर्ट ने कहा– 11 साल बाद दावा करने का कोई औचित्य नहीं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 28 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एसईसीएल कर्मचारी की मौत के 11 साल बाद दायर की गई अनुकंपा नियुक्ति की अपील खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि इतनी देर से किए गए आवेदन से योजना का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है, क्योंकि यह योजना अचानक आय के स्रोत समाप्त होने पर परिवार को तत्काल राहत देने के लिए बनाई गई है।

एसईसीएल के एसडीएल ऑपरेटर स्वर्गीय इंजार साय की ड्यूटी के दौरान 14 अगस्त 2006 को मृत्यु हो गई थी। उनकी दो पत्नियों के बीच विवाद होने के कारण अनुकंपा नियुक्ति का मामला लंबे समय तक अदालतों में उलझा रहा। एसईसीएल ने पहली पत्नी शांति देवी का आवेदन वर्ष 2009 में यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि दोनों पत्नियों के विवाद का निपटारा पहले सिविल कोर्ट में किया जाए।

विवाद के वर्षों बाद दूसरी पत्नी इंद्रकुंवर ने 17 अप्रैल 2017 को अपनी विवाहित बेटी प्रवीण के नाम से अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया। एसईसीएल ने आवेदन यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वह विवाहित है और आवेदन करने में 11 साल की देरी की कोई ठोस वजह नहीं बताई गई है।

मां-बेटी ने इसके बाद हाई कोर्ट में याचिका लगाई, जिसे सिंगल बेंच ने 23 जुलाई 2025 को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट (एनसीडब्ल्यूए) के नियमों के अनुसार आवेदन मृत्यु की तारीख से पांच वर्ष के भीतर किया जाना चाहिए। इस पर डिवीजन बेंच में अपील दायर की गई, लेकिन बेंच ने भी सिंगल जज के निर्णय को सही ठहराते हुए कहा कि इतने सालों बाद अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य ही समाप्त हो चुका है।

अदालत ने माना कि इतने लंबे समय तक बिना सहायता के जीवन-यापन करने के बाद नियुक्ति का कोई औचित्य नहीं रह जाता और सिंगल बेंच के आदेश में न तो किसी कानूनी त्रुटि है और न ही तथ्यात्मक गलती। इसलिए अपील खारिज की जाती है।


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