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बृंदा करात का छत्तीसगढ़ महिला आयोग पर गंभीर आरोप : 'पीड़िताओं को ही कटघरे में खड़ा किया जा रहा है'
05-Sep-2025 5:28 PM
बृंदा करात का छत्तीसगढ़ महिला आयोग पर गंभीर आरोप : 'पीड़िताओं को ही कटघरे में खड़ा किया जा रहा है'

रायपुर/नई दिल्ली, 5 सितंबर। सीपीआई(एम) की वरिष्ठ नेता और राज्यसभा की पूर्व सदस्य बृंदा करात ने छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आयोग को लिखे अपने पत्र में कहा है कि दुर्ग रेलवे स्टेशन पर 25 जुलाई को तीन युवा आदिवासी महिलाओं के साथ हुआ यौन शोषण का मामला आयोग के सामने आने के बावजूद, कार्रवाई के बजाय पीड़िताओं से ही अपमानजनक सवाल पूछे जा रहे हैं।

बृंदा करात ने लिखा है कि पीड़िताओं ने जिन लोगों पर यौन हिंसा का आरोप लगाया है—ज्योति शर्मा, रवी निगम और रतन यादव—उनके ख़िलाफ़ अभी तक एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई। जबकि घटना का वीडियो सबूत मौजूद है और मीडिया में भी यह रिपोर्ट हुआ है। करात के अनुसार, आयोग को पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय आयोग “विश्वास का दुरुपयोग करते हुए आरोपियों को बचाने में” लगा हुआ है।

“धर्म और रोज़गार पर तंज़”

बृंदा करात ने अपने पत्र में बताया कि आयोग की सुनवाई के दौरान कुछ सदस्यों ने महिलाओं से उनकी धार्मिक मान्यताओं पर तंज़ कसा। उनसे पूछा गया कि “अगर तुम चर्च और मंदिर जा सकती हो तो मस्जिद क्यों नहीं?”। उनसे यह भी पूछा गया कि वे नारायणपुर में काम क्यों नहीं कर सकतीं और अगर वे आगरा में नौकरी लेने जा रही थीं तो क्या पुलिस को इसकी जानकारी दी थी।

महिलाओं पर चर्च से पैसे लेने, जबरन धर्म परिवर्तन कराने और यहां तक कि “ननों द्वारा अपहरण” जैसी बातें आरोपियों और आयोग के कुछ सदस्यों की ओर से उठाई गईं। करात ने कहा कि यह सब सवाल राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित हैं और महिलाओं को डराने के लिए पूछे गए।

 

“आयोग की साख पर दाग़”

करात ने पत्र में लिखा-

“अगर ये बातें सच हैं, और इन्हें झुठलाने का कोई कारण नहीं है, तो यह आयोग के लिए शर्मनाक है। आयोग का दायित्व पीड़िताओं को न्याय दिलाना है, न कि राजनीतिक ताक़तों के दबाव में आकर आरोपियों को बचाना।”

उन्होंने कहा कि महिला आयोग को संविधान और क़ानून के तहत स्वतंत्र संस्था के रूप में बनाया गया था, लेकिन मौजूदा रवैया उसकी साख और विश्वसनीयता पर दाग़ लगा रहा है।

माँग : एफआईआर दर्ज हो और दोषी पुलिसकर्मी सज़ा पाएँ

बृंदा करात ने आयोग से तुरंत कदम उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले एफआईआर दर्ज हो, आरोपियों और दोषी पुलिसकर्मियों को सज़ा मिले और पीड़ित आदिवासी महिलाओं को उचित मुआवज़ा दिया जाए। उन्होंने लिखा कि अगर आयोग ने समय रहते अपनी भूमिका नहीं निभाई तो यह साबित करेगा कि वह पीड़ित महिलाओं के बजाय राजनीतिक दबाव के आगे झुक रहा है।


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