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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 8 जनवरी। रायपुर रोड पर स्थित अभिलाषा परिसर में व्याप्त वायु प्रदूषण के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।
इस दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने जवाब में कहा कि बिना पर्यावरण क्लीयरेंस के यह परिसर बनाया गया है। इधर हाउसिंग बोर्ड ने कहा है कि वहां उद्योग पहले से लगे हुए हैं।
अभिलाषा परिसर रेजिडेंट्स वेलफेयर सोसाइटी के प्रेसिडेंट राजेश कुमार केशरवानी ने अपनी जनहित याचिका में कहा है कि सिरगिट्टी औद्योगिक परिक्षेत्र से लगकर अभिलाषा परिसर सहित पुलिस हाउसिंग सोसायटी, आशीर्वाद वैली, रामा वैली, नवापारा, परसदा, सिरगिट्टी, मन्नाडोल आदि रिहायशी इलाके हैं। इसके अलावा यहां पर अंध मूक-बधिर स्कूल, बस स्टैंड, थोक फल सब्जी मंडी व अन्य व्यावसायिक क्षेत्र है। ये सभी औद्योगिक इकाइयों से होने वाले प्रदूषण से परेशान हैं। छत्तीसगढ़ पावर एंड कॉल बेनिफिकेशन, ओम आयल मिल और शारदा फ्लोर मिल के धुएं से लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है और दूसरी बीमारियां भी होती है। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण मंडल को कोयले की धुलाई बंद करने तथा उद्योग की बिजली आपूर्ति बंद करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी वाशरी में जनरेटर से कोयले की धुलाई हो रही है।
हाउसिंग बोर्ड ने अपने जवाब में कहा है कि वहां औद्योगिक परिसर पहले से स्थापित हैं इसलिए यह जनहित याचिका अनुचित है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी कहा है कि वहां पर उद्योगों को पहले से ही अनुमति दी जा चुकी है। कॉलोनी बाद में बनाई गई और कॉलोनी बनाने से पहले उनसे नहीं पूछा गया।
उल्लेखनीय है कि आवास विभाग और पर्यावरण विभाग एक ही मंत्रालय के अधीन है, इसके बावजूद कॉलोनी के निर्माण के पूर्व पर्यावरण क्लीयरेंस नहीं कराया गया।


