ताजा खबर
सिम्स और सरकारी अस्पतालों की दुर्व्यवस्था पर हुई सुनवाई
छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 18 नवंबर। सिम्स बिलासपुर और सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्था को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई में सोमवार को सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन) ने हाईकोर्ट को बताया कि जेम पोर्टल पर किसी भी टेंडर को आगे बढ़ाने के लिए 3 से अधिक बोलियां (बिड) आना अनिवार्य है, और इस बार आवश्यक संख्या में बोलियां न आने के कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई।
खंडपीठ ने इस स्पष्टीकरण पर असंतोष जताते हुए सीजीएमएससी के मैनेजिंग डायरेक्टर से शपथपत्र मांग लिया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर तय की है।
मालूम हो कि सितंबर 2025 में एक समाचार रिपोर्ट में बताया गया था कि सिम्स बिलासपुर को 15 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिलने के बावजूद उच्च तकनीक वाली मशीनें उपलब्ध नहीं हैं। इस पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर सख्त टिप्पणी की थी।
इसके बाद अदालत के निर्देश पर सिम्स के डीन, स्वास्थ्य विभाग के सचिव और सीजीएमएससी के प्रबंध निदेशक ने अपने-अपने हलफनामे दाखिल किए थे। कोर्ट ने तब निर्देश दिया था कि सभी हितधारक संयुक्त प्रयास करें ताकि धनराशि जारी होने और उपकरण खरीदी की प्रक्रिया में कोई बाधा न रहे और जनता को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
सोमवार की सुनवाई में सीजीएमएससी की ओर से अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि जेम पोर्टल के नियमों के अनुसार 3 से कम बोलियां आने पर टेंडर स्वतः आगे नहीं बढ़ता। इस बार कम बोलियां आने के कारण मशीन खरीद प्रक्रिया अटक गई है। कोर्ट ने इस स्थिति पर विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा और कहा कि इसके लिए शपथपत्र पेश करें।
अदालत ने पहले दायर हलफनामों में यह पाया था कि सिम्स प्रबंधन ने आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की खरीद और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार के लिए कदम उठाए हैं। सीजीएमएससी ने 11 अक्टूबर 2025 को जेम पोर्टल पर एनआईटी जारी कर निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि निगम समय पर कार्रवाई कर रहा है, लेकिन वर्तमान स्थिति स्पष्ट करने के लिए विस्तृत रिपोर्ट आवश्यक है।


