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महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत का अचानक इस्तीफा, 22 महीने रहा कार्यकाल
18-Nov-2025 11:17 AM
महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत का अचानक इस्तीफा, 22 महीने रहा कार्यकाल

दिनभर कोर्ट में सक्रिय रहे, रात 8 बजे बिना कारण बताए पद छोड़ा

कांग्रेस शासनकाल में भी हुई थी ऐसी ही घटना

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 18 नवंबर। छत्तीसगढ़ के एडवोकेट जनरल प्रफुल्ल एन. भारत ने सोमवार की रात को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। भारत ने अपने त्यागपत्र में किसी भी कारण का उल्लेख नहीं किया।

सोमवार को पूरे दिन वे कार्यालय में सक्रिय रहे और हाईकोर्ट में कई मामलों की सुनवाई के दौरान उपस्थित भी रहे। लेकिन उन्होंने अचानक पद छोड़ने का फैसला ले लिया और रात करीब 8 बजे उन्होंने राज्यपाल के नाम पर इस्तीफा भेज दिया।

11 जनवरी 2024 को मंत्रिपरिषद की बैठक में उनके नाम पर अंतिम मुहर लगी थी और 12 जनवरी को उन्होंने विधिवत रूप से महाधिवक्ता पद का कार्यभार संभाला था। प्रफुल्ल भारत इससे पहले 2014-18 में अतिरिक्त महाधिवक्ता रह चुके हैं और प्रदेश के अग्रणी विधि विशेषज्ञों में से गिने जाते हैं।

उनका तीन दशक से अधिक का कानूनी अनुभव है। उनका जन्म और स्कूली शिक्षा जगदलपुर के हैं तथा एमए, एलएलबी की शिक्षा हासिल की। 1992 में उनका नामांकन मध्यप्रदेश बार काउंसिल जबलपुर में अधिवक्ता के तौर पर हुआ उसके बाद जिला न्यायालय जगदलपुर में वकालत शुरू की। उन्होंने 1995 से 2000 तक जिला कोर्ट जगदलपुर में प्रैक्टिस की। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद बिलासपुर हाईकोर्ट में वकालत शुरू की।  महाधिवक्ता रविंद्र श्रीवास्तव के कार्यकाल में वे पहले पैनल लॉयर और फिर अतिरिक्त महाधिवक्ता बने। 2021 में उन्हें हाईकोर्ट का सीनियर एडवोकेट नामित किया गया था। उन्होंने जिला सहकारी बैंक जगदलपुर, बस्तर ग्रामीण बैंक, एसबीआई, अटल नगर विकास प्राधिकरण और स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक सहित कई प्रमुख संस्थाओं को कानूनी सेवाएं दीं।

यह पहला मौका नहीं है जब छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता कार्यालय में अचानक बदलाव हुआ हो।
2018 में कनक तिवारी को महाधिवक्ता नियुक्त किया गया था, लेकिन 6 महीने से भी कम समय में उन्हें हटाकर सतीश चंद्र वर्मा को नियुक्त कर दिया गया था। उस समय इस्तीफे और हटाए जाने को लेकर काफी विवाद हुआ था।

इसी तरह अब प्रफुल्ल भारत के अचानक इस्तीफे ने भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं, हालांकि उन्होंने किसी भी प्रकार का कारण सार्वजनिक नहीं किया है।

महाधिवक्ता पद संवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 165 के तहत राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाता है, जो राज्य सरकार के सर्वोच्च विधिक अधिकारी होते हैं। राज्यपाल द्वारा भेजे गए कानूनी मामलों पर सरकार को सलाह देना इनका दायित्व है। यह पद पूरी तरह राजनीतिक नियुक्ति माना जाता है और इसका कोई निश्चित कार्यकाल नहीं होता। प्रफुल्ल भारत का कार्यकाल लगभग 22 महीने रहा।


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