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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 18 नवंबर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य के थर्मल पावर प्लांट्स में कामगारों की स्वास्थ्य और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नौ साल से चल रही स्वतः संज्ञान (सुओ-मोटो) जांच का दायरा और बढ़ा दिया है। 14 नवंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने 37 अतिरिक्त यूनिटों को भी मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया। हाल के निरीक्षणों में कई प्लांट्स में अनुपालन की खामियां सामने आने पर यह कदम उठाया गया है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार को पिछली सुनवाई (15 सितंबर 2025) के आदेश के अनुपालन के लिए अतिरिक्त समय देने का अनुरोध स्वीकार किया। कोर्ट ने कहा कि कई प्लांट्स निरीक्षण दलों के साथ पूरा सहयोग नहीं कर रहे हैं। खंडपीठ ने उम्मीद जताई कि सभी प्रतिष्ठान जांच में पूरा सहयोग देंगे, ताकि राज्य में औद्योगिक कर्मियों के लिए एक समग्र स्वास्थ्य व सुरक्षा नीति तैयार की जा सके।
सितंबर में हुए व्यापक निरीक्षणों में यह सामने आया कि सिलिकोसिस, एस्बेस्टोसिस, न्यूमोकोनियोसिस और टीबी जैसी व्यावसायिक बीमारियां नहीं मिलीं, लेकिन डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, उच्च कोलेस्ट्रॉल, दृष्टि व श्रवण दोष जैसी जीवनशैली संबंधी बीमारियां बड़ी संख्या में पाई गईं।
कई प्लांट पहले निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों पर निर्भर थे, जिनकी रिपोर्टिंग को कोर्ट ने गलत और लापरवाह बताया। बावजूद निर्देशों के, कुछ यूनिटें अभी भी वार्षिक स्वास्थ्य परीक्षण निजी एजेंसियों से करा रही थीं।
हालांकि अब स्थिति में सुधार हुआ है। कई प्लांट्स ने टेस्ट सरकारी अस्पतालों में कराने शुरू कर दिए हैं, व्यावसायिक स्वास्थ्य केंद्रों और एम्बुलेंस की कमी दूर कर ली गई है, और राज्य सरकार ने फैक्ट्री नियमों के उल्लंघन पर कई यूनिटों को दंडित भी किया है।
रायपुर क्षेत्र के कई प्लांट्स में हल्के से मध्यम स्तर तक श्रवण क्षमता में कमी के मामले सामने आए, जिसके बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि ऑडियोलॉजिकल जांच केवल जिला व सरकारी अस्पतालों में ही हो। एनटीपीसी-सेल जैसी बड़ी इकाइयों में भी सैकड़ों कर्मचारियों में लाइफस्टाइल बीमारियों की पुष्टि हुई, हालांकि व्यावसायिक बीमारियां नहीं मिलीं।
2016 से चल रहे इस सुओ-मोटो मामले में हाईकोर्ट लगातार औद्योगिक स्वास्थ्य सुरक्षा का रिकॉर्ड, निरीक्षण रिपोर्ट और सरकारी पालन पर निगरानी रखता आया है। कोर्ट ने पहले भी स्वतंत्र फैक्ट्री मेडिकल ऑफिसर नियुक्त करने और निजी एजेंसियों की बजाय सरकारी ईएसआईसी संस्थानों से जांच कराने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने कहा कि 37 नई यूनिटों का निरीक्षण जल्द पूरा किया जाए। अब यह मामला 15 दिसंबर को फिर सुना जाएगा।


