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256 हेक्टेयर क्षेत्र में चल रहा सर्वे, ड्रिलिंग से सामने आएगी वास्तविक मात्रा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोरबा, 18 नवंबर। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा क्षेत्र में देश का पहला लिथियम ब्लॉक जल्द ही संचालित होने जा रहा है। कोलकाता स्थित माइकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने केंद्र सरकार की नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से इस लिथियम और रेयर अर्थ एलिमेंट ब्लॉक को हासिल किया है और अब यहां ड्रिलिंग व सर्वे का काम तेज गति से चल रहा है। कटघोरा में खनन शुरू होते ही भारत भी लिथियम उत्पादन वाला देश बन जाएगा।
ब्लॉक में 54 स्थानों पर ड्रिलिंग की जा रही है, ताकि लिथियम भंडार की सटीक स्थिति का पता लगाया जा सके। शुरुआती जानकारी के अनुसार, यह पूरा क्षेत्र 256 हेक्टेयर में फैला है। ड्रिलिंग 100 मीटर तक की गहराई में की जा रही है और सतह से लेकर नीचे की चट्टानों तक का विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है।
सर्वेक्षण में लगे अधिकारियों के अनुसार, ड्रिलिंग का पूरा काम लगभग चार महीने में पूरा हो जाएगा, जिसके बाद लिथियम खनन शुरू होने की उम्मीद है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि 256 हेक्टेयर में से किस हिस्से को खनन क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया जाएगा।
भूमि अधिग्रहण, मुआवजा वितरण और संबंधित प्रक्रियाएं भी सर्वे पूरा होने के बाद ही आगे बढ़ेंगी। क्षेत्र का बड़ा हिस्सा निजी भूमि और कुछ हिस्सा वनभूमि (84.86 हेक्टेयर) पर स्थित है।
उल्लेखनीय है कि देशभर में इस समय लिथियम सर्वे का कार्य तेजी से चल रहा है। भारत में फिलहाल लिथियम का उत्पादन नहीं होता है। हालांकि, हाल ही में जम्मू और कश्मीर (रियासी), राजस्थान (नागौर के डेगाना क्षेत्र), और कर्नाटक (मांडिया जिले) जैसे राज्यों में लिथियम के विशाल भंडार की खोज हुई है, जो भविष्य में देश की आत्मनिर्भरता को बढ़ाएंगे। इसके अतिरिक्त, बिहार, ओडिशा, झारखंड, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में भी लिथियम की संभावना तलाशी जा रही है।
भारत में बड़े पैमाने पर बैटरी निर्माण की योजना पर नीति आयोग काम कर रहा है। लिथियम मिलने से लिथियम-आयन बैटरियां देश में कम लागत में बन सकेंगी, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत भी घटेगी। वैश्विक मांग तेजी से बढ़ने के कारण लिथियम को व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार एक टन लिथियम की अंतरराष्ट्रीय कीमत लगभग 57.36 लाख रुपये है। वर्ष 2050 तक लिथियम की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है। वर्तमान में भारत में कहीं भी लिथियम उत्पादन नहीं होता, और देश पूरी तरह आयात पर निर्भर है।
कोरबा पहले से ही देश की सबसे बड़ी कोयला खदानों गेवरा, दीपका और कुसमुंडा का केंद्र है और लगभग 6,000 मेगावॉट बिजली उत्पादन वाला ऊर्जा हब माना जाता है। अब लिथियम उत्पादन शुरू होने के बाद कोरबा की पहचान और मजबूत होने जा रही है।


