कोण्डागांव

जैन समाज के धर्माचार्य केशकाल पहुंचे
29-Mar-2023 2:40 PM
जैन समाज के धर्माचार्य केशकाल पहुंचे

मन्द्री नृत्य के साथ महिलाओं ने नगर में कलश यात्रा निकाले

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
केशकाल, 29 मार्च।
जयपुर से चेन्नई के लिए पैदल विहार कर रहे जैन समाज के धर्माचार्य गरतरगच्छाधिपति जिनमणिप्रभ सूरीश्वरजी महाराज तथा मुनि मलयप्रभ सागरजी का मंगलवार सुबह केशकाल में आगमन हुआ।
इस अवसर पर घाटी के नीचे से ही जैन समाज केशकाल के लोगों ने उनका स्वागत कर पंचवटी पहुंचे। ततपश्चात बस्तर के पारंपरिक मन्द्री नृत्य के साथ समाज की महिलाओं ने जैन मंदिर तक कलश यात्रा निकाल कर महावीर स्वामी के जयकारों के साथ उनका आत्मीय स्वागत किया। साथ ही जैन समाज के लोगों के द्वारा अपने अपने घरों के सामने भी उनका स्वागत किया गया। इस दौरान सूरीश्वर जी म.स ने अपने प्रवचन में मनुष्य जीवन के महत्व के बारे में बताते हुए सदैव दूसरों के प्रति सहयोग की भावना रखने का संदेश दिया। इसके पश्चात जैन मुनि नारायणपुर की ओर रवाना हुए।

ज्ञात हो कि जैन धर्माचार्य खरतरगच्छाधिपति आचार्य जिनमणि प्रभ सूरिश्वर जी तथा मुनि मलयप्रभ सागर जी ने विगत 14 दिसंबर को राजस्थान के जयपुर से पैदल विहार का शुभारंभ किया था। मंगलवार की सुबह उन्होंने केशकाल की सीमा में प्रवेश किया। केशकाल जैन समाज दोनों ही जैन मुनियों के आगमन की तैयारियों में जुटा हुआ था। उन्होंने घाटी के नीचे से जैन मुनियों का स्वागत करते हुए जैन मंदिर केशकाल पहुंचे।

जैन मंदिर में धर्मचर्चा के दौरान गरतरगच्छाधिपति जिनमणिप्रभ सूरीश्वर जी महाराज ने कहा कि किसी भी जीव को लगभग 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य के रूप में जन्म मिलता है। इसका सदुपयोग करते हुए हमें आत्मकल्याण के लिए काम करना चाहिए ताकि हमें मोक्ष की प्राप्ति हो सके। उन्होंने कहा कि पथ, प्रदर्शक, मार्ग निर्माता, पथिक व पाथेय यह मोक्ष प्राप्ति के पांच रास्ते हैं।

इंसान में बहुत से अवगुण होते हैं, जिन्हें समय रहते दूर करना भी अति आवश्यक है। जिस तरह भगवान महावीर ने अनेक परेशानियों के बावजूद भगवान का चिंतन करते रहे, ठीक उसी प्रकार हमें भी भगवान के चिंतन में लीन रहना चाहिए।


अन्य पोस्ट