कोण्डागांव

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर परिचर्चा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 2 अगस्त। हिंदी साहित्य भारती कोंडागांव, छग हिंदी साहित्य परिषद कोंडागांव, राष्ट्रीय पत्रिका ककसाड एवं सम्पदा स्वयंसेवी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में माँ दंतेश्वरी हर्बल स्टेट कोंडागांव में मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनजातीय चेतना कला साहित्य संस्कृति एवं समाचार की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका ककसाड़ के सम्पादक डॉ. राजाराम त्रिपाठी थे। विशेष अतिथि के रूप में छग हिंदी साहित्य परिषद कोंडागांव के जिलाध्यक्ष हरेंद्र यादव सम्पदा स्वयंसेवी संस्थान की प्रमुख शिप्रा त्रिपाठी,अध्यक्ष दशमती नेताम हिंदी साहित्य भारती के जिलाध्यक्ष उमेश मण्डावी उपस्थित थे।
सर्वप्रथम अतिथियों ने मुंशी प्रेमचंद के छायाचित्र पर माल्यार्पण किया, तत्पश्चात शिप्रा त्रिपाठी ने भजन गाकर कार्यक्रम की गरिमामयी शुरुआत की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. राजा राम त्रिपाठी ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद का साहित्य समाज को सदेव प्रेरणा देता रहेगा। प्रेमचंद जी समाज को एक सूत्र में पिरोने वाले साहित्यकार थे। उनकी कहानियों व उपन्यासों के पात्र आज भी समाज मे देखे जा सकते हैं। उन्होंने समाज के यथार्थ को अपने साहित्य में दिखाया हैं। चाहे पीढ़ी बदल जाये चाहे युग बदल जाये पर प्रेमचंद का साहित्य हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। यही उनके साहित्य की ताकत है।
वरिष्ठ साहित्यकार हरेन्द्र यादव ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य को पढऩे वाले लोगो के जीवन में निश्चित बदलाव आता हैं और वो आदर्श जीवन जीते हैं। उनका साहित्य समाज को प्रेरणा देता हैं। कार्यक्रम का संचालन कर रहे हास्य व्यंग्यकार उमेश मण्डावी ने कक्षा 11वीं की पाठ्य पुस्तक में शामिल मुंशी प्रेमचंद की कहानी नमक का दरोगा का जिक्र कर बताया कि इस कहानी से बच्चे बहुत प्रभावित हुए हैं। उनका साहित्य नई पीढ़ी को अनुशासित व कर्तव्यपरायण बनने की प्रेरणा देता हैं।
शिप्रा त्रिपाठी ने मुंशी प्रेमचंद को समाज सुधारक व समाज को दिशा देने वाला साहित्यकार बताया। दशमती नेताम ने भी उन्हें महान साहित्यकार बताया। कार्यक्रम में उपस्थित साहित्यकारों द्वारा मुंशी प्रेमचंद जी की कफऩ, ईदगाह ,नमक का दरोगा ,बूढ़ी काकी कहानियो तथा गोदान उपन्यास पर भी चर्चा की। अंत में साहित्यकारों द्वारा हिंदी साहित्य भारती के महामंत्री बृजेश तिवारी के पिताजी सेवानिवृत्त रेंजर स्व.के .एल .तिवारी को दो मिनट का मौन रख विनम्र श्रद्धांजलि दी गई, जिनका देहावसान कुछ दिन पूर्व हुआ था।
इस अवसर पर विजय पांडे के के पटेरिया रमेश पंड्या शंकर नाग सुखदेव बघेल बलई चक्रवर्ती ,बुलबुल पांडे व बड़ी संख्या में शहर के साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।